-धारा-144 लाग, प्रशासन की मुस्तैदी पर सवालिया निशान
विनोद पांडेय @ गाजियाबाद। हाथरस कांड से आहत वाल्मीकि समाज के 50 परिवारों के 236 लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया। मामला गाजियाबाद के करहेड़ा इलाके का है। बीती 14 अक्टूबर को इलाके में रहने वाले वाल्मीकि समाज के 236 लोग एकजुट हुए और उन्होंने बाबा साहब अंबेडकर के परपोते राजरत्न अंबेडकर की मौजूदगी में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। करहेड़ा गांव में 236 वाल्मीकि समाज के लोगों ने बौद्ध धर्म को अपना लिया है।
इस घटना के बाद शुरुआत में तो पुलिस प्रशासन इससे इनकार कर रहा था, लेकिन अब आला अधिकारी मौके पर पहुंंचकर लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं। वाल्मीकि समाज के लोगों का आरोप है कि गांव में रहने वाले कुछ लोग उनके साथ जातीय उत्पीडऩ करते हैं, इसके चलते उन लोगों ने 14 अक्तूबर को बौद्ध धर्म अपना लिया। इसके साथ ही बौद्ध धर्म अपनाने वाले लोगों में हाथरस में हुई दुष्कर्म की घटना को लेकर भी नाराजगी है। यही नहीं उन्होंने बेरोजगारी और आर्थिक तंगी को भी अपने धर्म परिवर्तन का कारण बताया है।
शुरुआत में पुलिस का कहना था कि, मामला संज्ञान में आया है, मामले की जांच की जा रही है अब तक मामले की पुष्टि नहीं हुई है। एडीएम सिटी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली थी कि 236 लोगों ने धर्म परिवर्तन किया है, लेकिन जांच में चार से पांच लोगों के ही प्रमाण पत्र मिले हैं। जिनकी जांच की जा रही है। एडीएम सिटी ने बताया कि पवन ने कहा कि उनकी समस्याएं अगर हल हो जाएंगी तो वे वापस आ जाएंगे।
वाल्मीकि समाज द्वारा धर्म परिवर्तन किये जाने की खबर के बाद काफी हड़कंप दिखाई दे रहा है। प्रशासनिक स्तर पर उनको वापस लाने की तैयारियां की जा रही है। उनके बीच अफसर जाकर उनसे बात कर रहे हैं। उनकी समस्याएं सुन रहे हैं और प्रयास किया जा रहा है कि वे फिर दोबारा वापस अपने धर्म में लौट आएं। सूत्रों ने बताया कि बात काफी सकारात्मक रही है। अब देखना है कि प्रयास कितना सफल होता है।
वाल्मीकि समाज के धर्म परिवर्तन की खबर पाकर प्रशासन में हड़कंप मच गया। डीएम अजय शंकर पांडेय और एसएसपी कलानिधि नैथानी साहिबाबाद थाना पहुंचे और वहां पर धर्म परिवर्तन करने वाले पवन से बातचीत की। हालांकि बातचीत क्या हुई इस बारे में जानकारी नहीं दी गई। बाल्मीकि समाज के 236 लोगों के बौद्ध धर्म अपनाने के मामले पर मुख्यमंत्री से शिकायत की जाएगी।
जनपद में धारा 144 लगी होने के बावजूद इतनी संख्या में लोगों के समारोह के रूप में एकत्रित होने व धर्म परिवर्तन की भनक तक न लगने के मामले ने प्रशासन की मुस्तैदी पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। मामले की जानकारी मिलने के बाद बुधवार सुबह से ही गाजियाबाद पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच बैठकों का दौर चलता रहा।