टीम स्वीडन इन इंडिया ने ‘ए ग्रीन जर्नी-स्वीडिश कंपनीज़ इन इंडिया 2022’ नाम से एक रिपोर्ट जारी की

-शोध का लक्ष्य भारत में स्वीडिश कंपनियों के स्वच्छ परिवर्तन को समझना और मैप करना और इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए सुझाव देना है

नई दिल्ली : टीम स्वीडन इन इंडिया ने ‘ए ग्रीन जर्नी – स्वीडिश कंपनीज़ इन इंडिया’ नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। मौके पर सस्टेनेबल बिज़नेस के लिए स्वीडन की राजदूत सेसिलिया एकहोम, स्वीडिश कंपनियों के प्रमुख और अन्य भागीदार उपस्थित थे। रिपोर्ट 2021 और 2022 के दौरान दो चरणों में भारत के अंदर 49 स्वीडिश कंपनियों के शोध अध्ययन पर आधारित है। इनमें अधिकतर कंपनियां भारत में निर्माण कार्य कर रही हैं।

भारत में स्वीडिश कंपनियां अपने कार्यालयों, संयंत्रों के अंदर, उनके संचालन और वैल्यू चेन में स्वच्छ परिवर्तन के लिए क्या खास कर रही हैं यह समझने के लिए किए गए इस शोध में इस दिशा में सर्वश्रेष्ठ प्रयासों को प्रमुखता से दर्शाया गया और भावी सहयोग के लिए विशेष क्षेत्रों की पहचान की गई है।

शोध से यह सामने आया है कि स्वीडिश कंपनियां किस तरह स्वच्छता के नए दौर में सबसे आगे हैं। पर्यावरण को स्थिरता प्रदान करना सभी स्वीडिश कंपनियों के लिए बुनियादी महत्व रखता है। इनमें लगभग सभी कंपनियां पर्यावरण नियमों के अनुपालन से एक कदम बढ़ कर प्रदर्शन में सुधार कर रही हैं। साथ ही, सभी यह मानती हैं कि इस दिशा में अभी बहुत काम करना है।

रिपोर्ट में जल संरक्षण के मसले को विचाराधीन क्षेत्रों में प्रमुखता से दर्शाया गया है। रिपोर्ट से जाहिर है कि 43 फीसद कंपनियों ने जल संरक्षण के लक्ष्य बनाए हैं और 78 फीसद तो जल संरक्षण की दिशा में खास पहल भी की है। इतना ही नहीं, 51 फीसद कंपनियां वर्षा जल संचय करती हैं।

रिपोर्ट का एक अन्य महत्वपूर्ण विषय सामग्री (प्राकृतिक संसाधान) संरक्षण है। रिपोर्ट के अनुसार 67 फीसद कंपनियां सस्टेनेबलिटी के अपने एजेंडे में सर्कुलरिटी को प्रमुखता देती हैं। लगभग सभी कंपनियांे का प्रयास है कि कचरा कम से कम हो और 55 फीसद कंपनियां अपने उत्पादों या पैकेजिंग के काम में पुनर्चक्रण के साथ कच्चे माल का उपयोग करती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार तीसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र ऊर्जा है। 45 प्रतिशत कंपनियों ने ऊर्जा खपत में कमी के लक्ष्य निर्धारित किए हैं जिनमें परिवहन से संबंधित लक्ष्य भी हैं। इतना ही नहीं, 51 प्रतिशत कंपनियांे ने ऊर्जा खपत कम करने के लिए तकनीकी या प्रक्रिया बदलने की रिपोर्ट दी है।

इस शोध की अहमियत बताते हुए भारत में स्वीडन के राजदूत क्लास मोलिन ने कहा, ‘‘स्वीडन-भारत साझेदारी में सस्टेनेबलिटी की बुनियादी अहमियत बढ़ गई है। दोनों देशों का साझा लक्ष्य स्वच्छता का नया दौर शुरू करना और उसे गतिमान बनाए रखना है। यह द्विपक्षीय आदान-प्रदान, संयुक्त भागीदारी और व्यापार के अवसर सभी में दोनों तरफ विद्यमान है। सस्टेनेबलिटी सदैव सफल रहे इसके लिए सरकार, शिक्षा और उद्योग जगत सभी को योगदान देना होगा।’’

स्वच्छता के नए दौर में शामिल होने के लिए यह समझना होगा कि हम शुरुआत कहां से करें। इस संबंध में यह शोध बहुत अहम हो जाता है जो सस्टेनेबलिटी के लिए भारत में लगभग 50 स्वीडिश कंपनियों के प्रयासों की मैपिंग करता है। सस्टेनेबल व्यवयास के मोर्चे पर स्वीडिश कंपनियों को सबसे आगे देख कर हमारा उत्साह बढ़ जाता है। हमें विश्वास है कि रिपोर्ट में सामने आई चुनौतियां और अवसर अधिक गंभीर इनोवेशन और स्वच्छ परिवर्तन में अधिक निवेश के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड का काम करेंगे।’’

एक सप्ताह की यात्रा पर भारत आईं सस्टेनेबल बिजनेस के लिए स्वीडेन की एम्बेसेडर सुश्री सेसिलिया एकहोम कहती हैं, ‘‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट हम कुछ भी करें उसका अभिन्न हिस्सा होता है। हमारा यह अटूट विश्वास है कि इनोवेशन और सर्कुलर बिजनेस मॉडल में निवेश कर हम भावी रोजगार सृजन करेंगे और पर्यावरण की रक्षा भी करेंगे। यह शोध स्वच्छ परिवर्तन के लिए स्वीडिश कंपनियों की पहल की बुनियाद रखता है और इस दिशा में सबसे अच्छे प्रयासों और चुनौतियों की पहचान भी करता है। इतना ही नहीं, शोध का लक्ष्य स्वीडिश और भारतीय व्यवसायों और प्रतिनिधियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना भी है ताकि हम जन-जन के लिए स्वच्छ भविष्य की ओर अग्रसर रहें।’’

स्वीडिश चैंबर ऑफ कॉमर्स इंडिया की प्रमुख सारा लार्सन ने कहा, ‘‘स्वीडिश बिजनेस कम्युनिटी सभी व्यापार क्षेत्रों में समग्र और परस्पर जुड़ाव के साथ सस्टेनेबलिटी के लिए प्रतिबद्ध है। स्वच्छ परिवर्तन की राह पर सभी कंपनियों को एक साथ लाने से सिनर्जी पैदा होती है और ग्रोथ की गति बढ़ती है जो स्वच्छ परिवर्तन के लिए आवश्यक है।

यह शोध भारत में स्वीडिश कंपनियों के पर्यावरण स्थिरता के प्रयासों पर प्रकाश डालता है – यह बताता है कि हम आज कहां हैं; कल कहां होने की जरूरत है और वहां पहुंचने के लिए हम क्या कदम उठाएं।

नया दौर शुरू करने के लिए नई सूझबूझ और एक जुनून चाहिए और इसमें सभी की भागीदारी जरूरी है। नए विचार और बदलाव संगठन के अंदर से आते हैं और शक्तिशाली होते हैं। ऐसे में आसपास के लोगों के विचारों को सुनना भी निरंतर आगे बढ़ने के लिए जरूरी है।