सुरेन्द्र सिंह भाटी@बुलंदशहर खेल प्रतियोगिता का मजा भी कुछ अलग ही होता है , फिर चाहे इस नाम मे सचिन तेंदुलकर हो या मिल्खा सिंह क्यों न हो , किन्तु देश में होने वाली खेल प्रतियोगिता में बदलते भारत के साथ साथ महिलाओ ने भी काफी नाम कमाने में महारत हासिल की है ।आज देश मे आईएएस आईपीएस से लेकर नई नई वैज्ञानिक तकनीकी की बात हो या ट्रेन से लेकर हवाई जहाज चलाने से लेकर सीमा की सुरक्षा की बात हो हर स्थान पर आज के युग मे महिलाओ ने यह सावित कर दिया है कि वो आज किसी भी परिस्थिति में पुरुषों से कही भी पीछे नही है ।
किन्तु गरीबी किसी न किसी हद तक देश के होनहार बच्चों के सपने को साकार न होने तक काफी हद तक मायूस कर ही देती है । बुलंदशहर के खेल जगत में मुनि के जाबाज सितारे कामयाबी में तो नाम रोशन कर रहे है किन्तु उनकी पीठ मजबूत करने में कोई आगे नही आ पाया है । जबकि भारत सरकार अथवा प्रदेश सरकार प्रशासनिक स्तर पर ऐसे बच्चो को सहयोग प्रदान कर दे तो देश को बहुत जल्द एक ओर हिमा दास को ढूंढने में देरी नही ।
जिस प्रकार आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं हिमा दास जिसने 400 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 50.79 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता। तो 1960 में ओलंपिक खेल में लगातार जीत हासिल करने वाले मिल्खा सिंह ने भी 400 मीटर की दौड़ को महज 45.73 सेकंड में पूरा कर विश्व रिकॉर्ड बनाया था ।
ठीक इसी के कुछ पल दूरी पर जनपद बुलंदशहर अरनिया ब्लॉक के गॉव नगलिया मुनी निवासी इण्टर में पढ़ने वाली सतरह वर्षीय शिवानी ने एक माह पहले ही एथलेटिक्स खेल प्रतियोगिता में 200 मीटर की दौड़ को महज 24.20 सेकंड में पूरा कर गोल्ड मेडल जीता है । ओर हापुड़ में होने वाली हाई जम्प प्रतियोगिता में पांच फिट का रिकॉर्ड दर्ज करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया यानी देश मे एथलेटिक्स प्रतियोगिता में महिला रिकॉर्ड में प्रथम स्थान पाने वाली हिमा दास से महज कुछ पल का ही परिवर्तन देखा जा सकता है ।
जज्बा देश हित के लिए कुछ करने का किन्तु परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण शिवानी के सपनो पर कही पानी न फिर जाए और देश कही ऐसी ही एक हिमा दास को न खो दे । जबकि मेडलों ओर सर्टिफिकेट की बात कहे तो शिवानी ने अपनी उम्र से ज्यादा मेडल अभी तक प्राप्त कर लिए है । किन्तु जिला स्तर पर भी अभी तक कोई कोच नही मिल पाया है जो शिवानी को आगे बढ़ने में सहयोग दे सके। इसी के साथ मुनि निवासी तरुण ने भी डिस्कस थ्रो में जिला स्तर से लेकर नेपाल में इंटरनेशनल स्तर तक प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए गोल्ड मेडल तक जीता है किन्तु परिवार की कमजोर हालत के चलते ऐसे होनहार बुलंदशहर के युवा खिलाड़ी को कोई भी दिशा निर्देश नही दिख रहे है ।
अगर देश की सरकार ऐसे बच्चों के भविष्य के लिए थोड़ी भी कोशिश कर दे तो यही होनहार आगे चलकर देश का नाम रोशन कर सकते है । जिसके साथ बुलंदशहर जनपद की कामयाबी पर भारत के साथ साथ विश्व को भी गर्व होने का मौका मिल सकता है । इन्ही के साथ सूरज सौरभ शर्मा हेमंत कुमार बॉलीबाल प्रतियोगिता में मथुरा से गोल्ड मेडल हासिल कर चुके है ।