IN8@गुरुग्राम… नेशनल क्रिकेट टीम में शामिल करने के नाम पर एक खिलाड़ी से पांच लोगों ने 9 लाख रुपए ठग लिए। आरोपियों ने खिलाड़ी को झांसे में लेने के लिए उसे हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) में सिलेक्शन का लेटर दिखाने के साथ ही उसे टीम की ड्रेस भी दी। बाद में जांच में खुलासा होने के बाद पीडि़त ने जब रुपए वापस मांगे तो आरोपियों ने उल्टा उसे ही रिकवरी नोटिस दे दिया। इस बारे में उसने सेक्टर-50 थाना पुलिस को शिकायत देकर केस दर्ज कराया है। पुलिस ने मामले को जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा को भेज दिया है।
जालौन उत्तर प्रदेश निवासी अंशुल राज ने बताया कि वह साल 2011 में चिरंजीव भारती स्कूल की क्रिकेट टीम में खेलते थे। स्कूल की शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने साल 2016 में दिल्ली की डेयरडेविल क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन कर ली। साल 2018 में वह गोल्डन हॉक एकेडमी में प्रैक्टिस करने लगे। यहां उनकी मुलाकात बापरोला क्रिकेट एकेडमी के राज राजपूत से हुई। राजपूत ने उन्हें साल 2019 में दीपक से मिलवाते हुए पूर्वोत्तर राज्य के लिए क्रिकेट खेलने की बात कहते हुए एक लाख रुपए लिए।
दीपक ने उन्हें एसडीसीएम एकेडमी के कोच अमित से मिलवाया। कुछ समय तक उनकी एकेडमी में प्रैक्टिस करने के बाद अंशुल ने पूर्वोत्तर राज्य की टीम की बजाय किसी राज्य की टीम से खेलने की इच्छा जताई। आरोप है कि कुछ दिन बाद उन्हें आरोपियों ने एचपीसीए का एक लेटर दिखाया, जिसमें अंशुल राज का सिलेक्शन होने की बात कही। इस लेटर में क्रिकेट सत्र 2019-20 के दौरान अंशुल को सीनियर स्टेट अंडर-23 कर्नल सी के नायडू ट्रॉफी में खेलने का अवसर देने की बात कही गई। इस लेटर को सार्वजनिक न होने की बात कही। आरोपियों ने उसे झांसा दिया कि इस लेटर को एचपीसीए स्वयं सार्वजनिक करेगी, लेकिन इसके लिए 10 लाख रुपए का भुगतान करना होगा। अंशुल ने पुलिस को बताया कि आरोपियों ने उसे आशुतोष बोरा, चित्रा बोरा और पुष्कर तिवारी से गुरुग्राम के सेक्टर-49 स्थित कार्यालय में मिलाया। आरोपियों ने आशुतोष को गल्फ सॉल्यूशन इंटरप्राइजेज कंपनी का प्रबंधक होने की बात कही और यह रुपए उन्हीं को दिए जाने की बात कही। इस पर अंशुल ने अपने पिता से बात करके आशुतोष की बात कराई। यहां सौदा 9 लाख रुपए में तय हुआ। इसे अंशुल के पिता ने तीन किस्तों में दे दिया। इसके बाद 6 फरवरी 2020 को आरोपी उसे हिमाचल प्रदेश ले गए। यहां उसे हिमाचल की टीम में स्टैंडबाय प्लेयर होना बताते हुए उसे टीम की ड्रेस व किट दे दी। इससे वह टीम के ड्रेसिंग रूम व उनके बैठने की जगह पर आराम से आ जा सकता था।
अंशुल ने आरोप लगाया कि बाद में हिमाचल टीम के राज्य से बाहर जाने के बारे में पता लगा, लेकिन उसमें अंशुल का नाम नहीं था। इस पर उसने आरोपियों से बात की तो उन्होंने बहाना बनाते हुए अंशुल को अपने पास बुला लिया कि उसका गेस्ट प्लेयर के नाम पर सिलेक्शन हुआ था। ऐसे में कुछ लोगों को उसके टीम में रहने पर ऐतराज था। उसके खेलने पर पाबंदी न लग जाए, ऐसे में उसका नाम हिमाचल टीम से वापस ले लिया गया है। इसके बाद उसे कई तरह के प्रलोभन देते हुए कई एसोसिएशन के साथ खेलने का एग्रीमेंट किए जाने की बात कही। इस दौरान उन्होंने आरोपियों द्वारा दिए गए लेटर की जांच कराई, जिसमें उन्हें इसके फर्जी होने के बारे में पता लगा। इस पर अंशुल से आरोपियों को दिए गए रुपए वापस मांगे, लेकिन आरोपियों ने उन्हें रुपए वापस करने की बजाय उल्टा उसे ही पांच लाख रुपए जमा कराने का लीगल नोटिस भेज दिया। इस पर उन्होंने पुलिस को शिकायत देकर केस दर्ज कराया है।