देश के जनसंख्या के हिसाब से सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश में इस समय पंचायत चुनाव(election) का शोर है। प्रत्यासी अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को लुभाने का जोश-शोर से प्रयास कर रहे हैं। कही शराब(wine) बांटी जा रही है तो कहीं डराने धमकाने की खबरे भी सुनने को मिल रही हैं। कहीं-कहीं तो एक -दूसरे प्रत्याशी को बैठाने का भी दवाब बनाया जा रहा है। रिश्तेदारों से फोन कराए जा रहे हैं तो कही इधर की बात उधर तो उधर की बात इधर की जा रही है।
चुनाव में नए-नए रंग देखने को मिल रहे हैं। कहीं कहीं तो ऐसे उम्मीदवार भी मैदान में उतर कर जनता के हाथ जोड़ रहे हैं जिनके आगे कभी जनता हाथ जोड़ा करती थी। पार्टियों द्वारा बागियों को धड़धड़ पार्टी से बाहर निकाला जा रहा है। एक जिले में तो भाजपा से अपने 63 नेताओं को पार्टी से निकाल दिया। ये नेता पार्टी का टिकट न मिलने पर भी चुनाव मैदान में उतर गए थे। इन नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है और सख्त चेतावनी दी गई है कि किसी भी नेता का फोटो प्रचार में प्रयोग नहीं करेंगे।
खबर ऐसी भी आ रही है कि सैकड़ों ग्राम प्रधानों व कुछ जिला पंचायत सदस्यों को निर्विरोध भी चुन लिया गया है।
दूसरी तरफ देखा जा रहा है इस बार पंचायत चुनाव में पीएचडी,बीटेक(B.TECH),एमबीबीएस,एमटेक भी अपनी िकस्मत आजमा रहे है। एक जिले में तो पूर्व में कुख्यात डाकू रहे आदमी की पत्नी मैदान में तो कही गैगस्टर के संबंधी भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
दूसरी तरफ लंबे समय तक आतंक का पर्याय बने रहे विकास दुबे के खात्मे के उपरांत बिकरू ग्राम पंचायत में लगभग ढाई दशक बाद एक बार पुन: लोकतंत्र का उदय होने जा रहा है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए यहां न सिर्फ दावेदारों ने स्वतंत्र रूप से अपने नामांकन कराए हैं, बल्कि मतदाताओं को भी अब अपनी स्वेच्छा से ग्राम प्रधान व अन्य जनप्रतिनिधि चुनने का मौका हासिल हो रहा है। जबकि कुख्यात विकास दुबे के रहते यह नामुमकिन था।
बिकरू गांव कुख्यात विकास दुबे (vikash dube)के कारण चर्चा में बना हुआ है। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने 2 जुलाई 2020 की रात अपने साथियों के साथ मिलकर सीओ बिल्हौर समेत 8 पुलिसकर्मियों की तब निर्मम हत्या कर दी थी, जब पुलिस टीम एक मामले में उसके घर पर दबिश देने पहुंची थी। बाद में पुलिस ने उसे एन्काउंटर में मार गिराया था।
अबकी बार बाहर काम करने वाले जो लोग कोरोना के कारण अपने गांव में आए हुए हैं वो पंचायत चुनावों में खासा असर डाल रहे हैं।
भरत कुमार निषाद(वरिष्ठ पत्रकार)