IN8@गुरुग्राम ….. जिले में पर्यावरण प्रदूषण को लेकर जिला प्रशासन ने सक्रियता दिखाई है। अब जारी आदेशों में कहा गया है कि गुरुग्राम जिले में पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) के निर्देशों को अमलीजामा पहनाने के लिए विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी तय की गई है। जारी आदेशों में कहा गया है कि आवश्यक तथा आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर गुरुग्राम व फरीदाबाद में डीजी सैट के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
ईपीसीए ने गुरुग्राम सहित दिल्ली एनसीआर में वायु की गुणवत्ता कम होने की वजह से 15 अक्टूबर से ग्रेडिड रिस्पांस एक्शन प्लान के तहत उपाय लागू करने के निर्देश दिए थे। ईपीसीए के निर्देशों की पालना में उपायुक्त अमित खत्री ने आदेश जारी करते हुए सभी सरकारी विभागों तथा एजेंसियों को उनकी अनुपालना सुनिश्चित करने को कहा है। ईपीसीए ने कुछ आवश्यक सेवाओं जैसे मेडिकल उद्देश्यों के लिए अस्पताल, नर्सिंग होम तथा स्वास्थ्य सुविधाओं, लिफ्ट, ऐस्केलेटर, रेलवे स्टेशन, मेट्रो रेल कारपोरेशन सेवाएं जिसमें उनकी ट्रेन और मेट्रो स्टेशन व एयरपोर्ट तथा अंतरराज्यीय बस टर्मिनल को डीजी सैट प्रयोग के प्रतिबंध से मुक्त रखा है। इसी प्रकार, बिजली विभाग को परामर्श दिया गया है कि वह डीजी सैटों के प्रयोग को रोकने के लिए इन दोनो शहरों में पर्याप्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करें, ताकि आमजनता को असुविधा ना हो।
उपायुक्त के आदेशों में बड़ी निर्माण परियोजनाओं जैसे हाईवे और मेट्रो को निर्देश दिए गए है कि वे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह अंडरटेकिंग देंगे कि वे धूल प्रबंधन संबंधी निर्धारित मानक तथा गाइडलाइन्स का पालन सुनिश्चित करेंगे। प्रदूषण की दृष्टि से सभी उद्योगों को लाल और नारंगी श्रेणियों में विभाजित कर दोनो प्रकार के उद्योगों से यह शपथ पत्र देने को कहा गया है कि वे केवल अधिकृत ईंधन का ही प्रयोग करेंगे और प्रदूषण नियंत्रण के पर्याप्त उपायों के बगैर संचालन नही करेंगे। यह शपथ पत्र उन्हें राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को देना है।
जिला में चिन्हित प्रदूषण हॉट-स्पॉट के लिए बनाई गई कार्य योजना की पालना सुनिश्चित करने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों को रात में भी गश्त लगाने के लिए टीमें गठित करने के लिए कहा गया है। आदेशों मे उपायुक्त में यह भी कहा है कि ईपीसीए ने अपने फील्ड में विजिट के दौरान जो कमियां पाई हैं, उनको प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाए और उस संबंध में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा ईपीसीए को रिपोर्ट भेजी जाए।