दिल्ली देश की राजधानी जिसका नाम सुनकर ग्रामीण और दूरदराज के लोगों के मन में बड़े-बड़े सपने आते हैं कि दिल्ली ऐसी होगी कि दिल्ली वैसी होगी। बड़ी-बड़ी बिल्डिंग , बड़े-बड़े लोग, बड़ी-बड़ी गाड़ियां, चौड़ी चौड़ी सड़कें यह सब उन लोगों के मन में आता होगा । वे सोचते होंगे कि काश हम भी दिल्ली में रह रहे होते । लेकिन यहां की सच्चाई कुछ और ही बयां करती है कदम-कदम पर गंदगी के ढेर, सड़कों में गड्ढे, कालोनियों में इतना बुरा हाल है कि आप निकल भी नहीं सकते, गलियों में कीचड़ , थोड़ी सी बरसात हो जाए तो पानी ही पानी यह सब देश की राजधानी का हाल है । शायद और किसी देश की राजधानी ऐसी रही होगी ।
हमारे पड़ोसी दुश्मन देश पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद सफाई के मामले में हमसे अव्वल रहती है । हमारी दिल्ली में तो सफाई का बुरा हाल है और यह बात स्वच्छता सर्वेक्षण ने और पक्की कर दी है। केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के तहत 6 साल से लगातार देश के हर राज्य और हर शहर का एक सर्वेक्षण किया जाता है । उस सर्वे में सभी राज्यों को अंक दिए जाते हैं और अंकों के आधार पर राज्यों की और उन राज्यों में स्थित शहरों की रेटिंग की जाती है ।
इस बार के सर्वे के नतीजे जब आए तो पूरी दिल्ली को शर्मसार कर देने वाले आंकड़े सामने आए । मात्र 47 शहरों के सर्वेक्षण में दिल्ली के तीनों नगर निगम 31वें 43वें और 46वें पायदान पर है । इस बात से हम अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारी दिल्ली कितनी साफ है । यह तो वही वाली बात हुई कि सिर्फ दिखावे के लिए ऊंची-ऊंची बिल्डिंग हैं ,लंबी लंबी गाड़ियां और सफाई के नाम पर जीरो । यह दिल्ली वालों के लिए बहुत ही शर्मनाक बात और मैं एक बात जरूर कहूंगा ऐसे मौकों पर राजनीति बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए ।
दिल्ली देश की राजधानी है । यहां देश-विदेश से घूमने के लिए बहुत से लोग आते हैं तो नाम के अनुसार ही दिल्ली की पहचान भी होनी चाहिए । केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और एमसीडी को चाहिए कि दिल्ली को उसके नाम के अनुसार ही बनाएं । हमारे देश की राजधानी साफ-सफाई के मामले में और किसी भी देश की राजधानी से कम नहीं होनी चाहिए।
भरत कुमार निषाद (वरिष्ठ पत्रकार)