उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे का फैसला लिया है। सरकार के इस निर्णय पर विवाद भी छिड़ गया है और असदुद्दीन ओवैसी भी इसमें कूद गए हैं। योगी सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए ओवैसी ने कहा कि ऐसा ही है तो फिर आदेश जारी करना चाहिए कि अब कोई मुसलमान नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि योगी सरकार का यह फैसला मनमाना है और मुसलमानों को शक की नजर से देखने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि यह छोटा एनआरसी जैसा फैसला है। ओवैसी ने कहा कि सरकार जिन मदरसों को कोई मदद नहीं देती है, उनकी जांच कराने का हक उसके पास नहीं है।
ओवैसी ने कहा, ‘निजी मदरसों से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। उनका सर्वे आखिर सरकार क्यों करा रही है। मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त संस्थानों को ही सरकार मदद देती है और उनकी ही जांच करा सकती है।’ हैदराबाद के सांसद ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 30 के तहत अल्पसंख्यकों को अपने संस्थान चलाने का हक है। उन्होंने कहा कि यह सर्वे नहीं है बल्कि छोटा एनआरसी है। वहीं इस पर विवाद छिड़ने के बाद योगी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने सरकार का मकसद बताया है कि आखिर क्यों मदरसों के सर्वे का फैसला लिया गया है।
योगी के मंत्री ने बताया- क्या है सर्वे कराने का मकसद
दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि हम यह सर्वे इसलिए करना चाहते हैं ताकि छात्रों की संख्या पता हो। किसी भी तरह का डेटा हमारे सामने होगा, तभी तो हम योजनाओं को आसानी से तैयार कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले में एसपी और बीएसपी की ओर से भ्रम फैलाया जा रहा है। गौरतलब है कि यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे करवाया जाएगा। इसके लिए शासन के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी की ओर से एक आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में कहा गया है कि 10 सितम्बर तक इस सर्वे के लिए टीम गठित की जाएगी, जिसमें संबंधित तहसील के उप जिलाधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शामिल होंगे।