रैपिड ट्रेन का स्लो स्पीड ट्रायल, 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ी ट्रेन

गाजियाबाद। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) द्वारा मंगलवार को रैपिड ट्रेन का स्लो स्पीड ट्रायल रन मुख्य ट्रैक पर दुहाई डिपो से निर्माणाधीन गाजियाबाद स्टेशन के समीप तक किया गया।

ट्रैक और ट्रैकशन के परीक्षण की प्रक्रिया के दौरान ट्रेन को दुहाई स्टेशन से चलाकर गुलधर स्टेशन पर ले जाया गया, जिसमें ट्रेन की रफ्तार पांच किमी प्रतिघंटा रखी गई। यहां तक ओएचई का प्रदर्शन सफल रहने के बाद ट्रेन को गाजियाबाद स्टेशन की ओर आगे बढ़ाया गया और स्टेशन से पहले बने क्रासओवर से ट्रेन को वापसी के लिए तैयार किया गया। इस दौरान ट्रेन को आपरेटर ने ट्रेन कंट्रोल मैनेजमेंट सिस्टम (टीसीएमएस) के तहत मैनुअल तरीके से पांच किलोमीटर से 25 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार पर चलाया।

जल्द ही हाई स्पीड ट्रायल रन की शुरुआत होगी। मार्च, 2023 से यात्रियों को साहिबाबाद से दुहाई के बीच और वर्ष 2025 में मेरठ से दिल्ली के बीच रैपिड ट्रेन में सफर करने का मौका मिलेगा। साहिबाबाद से दुहाई के बीच प्राथमिक खंड में रैपिड ट्रेन को चलाने के लिए दुहाई डिपो से गाजियाबाद तक ओवर हेड इक्यूप्मेंट (ओएचई) को 25 केवी की क्षमता पर चार्ज किया गया। इस प्रक्रिया में, चार्ज की गई ओएचई के परीक्षण के लिए आरआरटीएस ट्रेन को गाजियाबाद तक चला कर देखा गया जो सफल रहा।

जल्द ही, प्राथमिक खंड के बाकी बचे हिस्से में भी ओएचई को चार्ज कर दिया जाएगा। एनसीआरटीसी के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पुनीत वत्स ने बताया कि आरआरटीएस नेटवर्क के परीक्षण की प्रक्रिया में पहले इसके सभी तत्वों की अलग-अलग जांच की जाती है। इसके सफल होने के बाद सभी सब-सिस्टम, ओएचई, ट्रैक, टेलीकाम एवं सिग्नलिंग के साथ-साथ स्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर, प्लेटफार्म स्क्रीनडोर्स की एक दूसरे के साथ अनुकूलता की जांच करने के लिए एकीकृत रूप में परीक्षण किया जाता है।

वर्तमान में, इसी प्रक्रिया का संचालन किया जा रहा है। ओएचई को दुहाई डिपो के फीडिंग पोस्ट से लेकर गाजियाबाद स्टेशन के पास बने फीडिंग पोस्ट तक 25 केवी की क्षमता के साथ चार्ज किया गया है। इसके परीक्षण के लिए ट्रेन को पहली बार डिपो से बाहर निकालकर गाजियाबाद तक लाया गया। परियोजना के लिए कार्यरत सभी इंजीनियरों, आर्किटेक्ट और कर्मचारियों के लिए यह एक अनोखा और पहला अनुभव रहा, जिसमें उन्होंने देश की प्रथम रीजनल ट्रेन के लिए ओएचई का परीक्षण किया और सफलता हासिल की।