IN8@गुरुग्राम…..बुधवार को गुरुग्राम में हाड़ कंपकंपा देने वाली सर्दी पड़ी। इस सर्दी ने लोगों को घरों में ही दुबके रहने को मजबूर कर दिया। हालांकि काम-धंधों को निकलने वाले लोगों को मजबूरी में इस सर्दी में निकलना पड़ा। बीती रात कोहरा भी छाया रहा, जिसका असर सुबह तक रहा। सूर्य देवता भी देरी से निकले। इस कारण सर्दी और अधिक रही। बुधवार अलसुबह 4 बजे का तापमान 2 डिग्री था। गत एक दशक से सर्दियों के मौसम में परिवर्तन देखा जा रहा है। पहले जो सर्दियां अक्टूबर माह से ही शुरू हो जाती थी, वो अब आधा नवम्बर बीत जाने के बाद महसूस की जा रही है। अधिक सर्दी की बात करें तो यह दिसम्बर में ही होने लगी है। सर्दियों की फसल गेहूं के लिए सर्दी भी जरूरी है, लेकिन अत्यधिक सर्दी इंसानों, बेजुबानों के लिए एक तरह से दुश्मन है। विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।
मंगलवार की रात और बुधवार की सुबह व दिनभर सर्दी का आलम रहा। हाड़ कंपा देने वाली सर्दी के बीच लोगों को काम-धंधों के लिए मजबूरी में निकलना पड़ा। लोग अधिक कपड़े पहनकर घरों से बाहर आए, लेकिन सर्दी के आगे सारे इंतजाम फीके पड़ गए। घरों में रहने वाले लोगों ने गलियों में अलाव जलाकर खुद की और राहगिरों की सर्दी भगाने का प्रयास किया। सर्दी में गर्मी का अहसास कुछ दूर तो रह सकता है, लेकिन फिर हालत खराब। लोग बुधवार को ठंड में कंपकपाते नजर आए। दिसम्बर के अंत की सर्दी ने लोगों की हालत खराब कर दी है। पारा इतना अधिक नीचे आ चुका है कि फसलों के पत्तों व अन्य जगहों पर बर्फ सी जमी नजर आती है।