लॉकडाउन में प्रदूषण घटा पर स्तर तय मानकों से ज्यादा रहा

IN8@ नई दिल्ली। कोरोना महामारी से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में पिछले साल पीएम 2.5 के स्तर में 43 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इसके बावजूद एक रिपोर्ट के अनुसार, यह तय मानकों से ज्यादा पाया गया।

दि एनर्जी रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) ने तीन स्थानों इंडिया हेबीटेड सेंटर, लक्ष्मीनगर और पटेल नगर में की गई निगरानी में पाया कि पीएम 2.5 का तय मानकों से ऊंचा स्तर बना हुआ था जो स्वास्थ्य के लिए घातक है। टेरी ने ब्लूमबर्ग फिलॉन्थ्रापीज के सहयोग से तैयार की गई रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि निगरानी किए गए स्थानों पर 31 से 60 दिनों में पीएम 2.5 ज्यादा पाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक गतिविधियों के सीमित होने के बावजूद हवा का प्रवाह धीमा रहने की वजह से लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में कई दिनों तक प्रदूषण का स्तर सामान्य से ज्यादा रहा है।

दिल्ली में पीएम 2.5 के सामान्य स्तर से अधिक रहने का मुख्य कारण बायोमास को जलाना बताया गया है। इसमें भी अधिकांश जगहों पर खेतों में गेहूं के अवशेष और चूल्हा जलाने से इसके स्तर में बढ़ोत्तरी हुई है। अध्ययन का निष्कर्ष है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए एक एयरशेड आधारित दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है। टेरी के महानिदेशक डॉ अजय माथुर ने कहा कि जब तक हम क्षेत्रीय स्रोतों को समान और अधिक तीव्रता से नहीं सुलझाएंगे तब तक हम दिल्ली में वायु गुणवत्ता के मानकों को प्राप्त नहीं कर सकते। इसमें राज्य सरकार को साथ आने और योगदान देने की जरूरत है।

अर्थ साइंस एंड क्लाइमेट चेंज डिवीजन के निदेशक डॉ. सुमित शर्मा ने कहा कि लॉकडाउन और गर्मियों में मौसम के हानिकारक प्रदूषकों के वायुमंडल में दूर-दूर तक फैले होने के बावजूद अधिकांश दिनों में प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानक से कहीं अधिक था। केवल शहर स्तर की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं होगा बल्कि भारत में क्षेत्रीय स्तर की वायु गुणवत्ता प्रबंधन योजनाओं की तैयारी और कार्यान्वयन शुरू करना होगा।