गाजियाबाद। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी ने वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य के संकट को समझते हुए एक सक्रिय कदम उठाया है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं कोविड-19 के बाद दुनिया भर में तेजी से बढ़ी हैं। जिसमें विश्व के समस्त मानसिक मरीजों में से 15 प्रतिशत हिस्सा भारत के मरीजों का है। कोविड-19 महामारी ने मानव के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरे प्रभाव डाले हैं। जिनमें से अवसाद, अकेलापन, चिंता आदि प्रमुख हैं। जिनसे उबरने हेतु लोगों को परामर्श देने के लिए विश्व मानसिक स्वास्थय दिवस के अवसर पर मंगलवार को यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी ने एक व्यापक मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया। जिसमें लोगों को काउंस्लिंग एवं उपचार प्रदान किया गया। 70 पोस्टरों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य को दुरूस्त रखने के लिए संदेश दिये गये एवं हॉस्पिटल में सुन्दर रंगोली बनाकर अवसाद में रह रहे लोगों को हर्ष प्रदान किया गया।
वरिष्ठ न्यूरोसाईकैट्रिस्ट डॉक्टर संदीप गोविल ने कहा कि कोविड के बाद से डर बैठ चुका है और बढ़ते हुए हार्ट-अटैक के समाचार ने इसे और बल दिया है। डॉक्टर गोविल ने कहा कि यदि हमारे अन्दर छोटे-2 मानसिक बदलाव आते हैं, जो 2 घण्टे से ज्यादा नहीं रहते, ऐसे बदलावों की ज्यादा चिंता नहीं करनी हैं, किन्तु ऐसे बदलाव जो बार-बार और ज्यादा समय तक रहते हैं, उनको हमें गम्भीरता से लेते हुए मानसिक रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए।
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सोनल वरमानी ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य की ही तरह महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारा शारीरिक स्वास्थ्य यदि ठीक भी हो, किन्तु मानसिक स्वास्थ्य ठीक न हो तो जीवन में सुख रंगों की कमी हो जाती है, जोकि अवसाद का कारण बनती है। उन्होंने कहा जो लोग मानसिक परेशानियों के प्रेशर को हैंडल कर लेते हैं, उन्हें मेंटल हेल्थ पर कोई खास असर नहीं पड़ता है, लेकिन कुछ लोगों को इस वजह से मेंटल प्रॉब्लम शुरू हो जाती हैं। धीर-धीरे यह समस्या मानसिक बीमारियों का रूप ले लेती हैं।
मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ डॉ शोभा शर्मा ने कहा कि मानसिक रोगों से बचने के लिए हमें तीन मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए। जिसमें पहला है नित्य प्रतिदिन की दिनचर्या निर्धारित होनी चाहिए। दूसरा है सन्तुलित आहार लेना और तीसरा है अपने आपको मानसिक- तौर से फिट रखना। जिसके लिए उन्होंने कहा कि हमें ज्यादा सोचना नहीं चाहिए और हमें पॉजिटिव रहना चाहिए। छोटी-छोटी टिप्स देते हुए उन्होंने कहा कि अपने प्रोफेशन को घर ना लेकर जायें। मोबाइल के स्क्रीन टाईम को कम से कम रखें। सोशल मीडिया और रील्स में उसको देख रहे व्यक्ति की स्वयं कोई भी रचनात्मक क्रिया नहीं होती, ऐसे में अवसाद का खतरा बढ़ जाता है।