दीपक वर्मा@ शामली। गढीपुख्ता क्षेत्र के गांव राझड निवासी एक महिला ने गांव के ही एक युवक पर घर में घुसकर लूटपाट का प्रयास करने व विरोध करने पर मारपीट कर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए थाने पर तहरीर दी है। जानकारी के अनुसार गढीपुख्ता क्षेत्र के गांव राझड निवासी एक महिला ने गढीपुख्ता थाने पर तहरीर देते हुए बताया कि शुक्रवार की सुबह करीब पांच बजे वह अपने बच्चों व देवरानी के साथ घर में मौजूद थी। पीडिता का आरोप है कि तभी गांव का ही एक युवक हाथ में तमंचा लेकर घर में घुस आया तथा नकदी व जेवरात देने की मांग की तथा न देने पर जान से मारने की धमकी देने लगा। जब उसने विरोध किया तो आरोपी ने उसके और उसकी देवरानी के साथ मारपीट करते हुए एक पांच साल की बच्ची को भी घायल कर दिया। शोर शराबा होने पर आरोपी जान से मारने की धमकी देते हुए फरार हो गया। पीडिता का कहना है कि उसका पति मेहनत मजदूरी करता है जिस कारण वह अधिकतर घर में अकेली रहती है। पीडिता ने पुलिस से आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
भारतीय मिल मजदूर संघ ने मनाया प्रतिरोध दिवस
दीपक वर्मा@ शामली। भारतीय मिल मजदूर संघ ने सरकार के श्रम कानूनों में संशोधन, निजीकरण एवं महंगाई के खिलाफ शुक्रवार को प्रतिरोध दिवस मनाया। इस अवसर पर राष्ट्रपति व राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर श्रमिकों के शोषण व उत्पीडन को रोकने की मांग की।
जानकारी के अनुसार भारतीय मिल मजदूर संघ द्वारा सरकार के श्रम कानूनों में संशोधन, निजीकरण एवं महंगाई के खिलाफ केन्द्रीय श्रम संगठनों के आहवान पर प्रतिरोध दिवस मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति व राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन डीएम को सौंपा गया। यूनियन के मंत्री राजेन्द्र पंवार ने कहा कि कोरोना महामारी के बहाने और सरकार की मजदूरों के हकों के प्रति लापरवाही के कारण कारखाना सेवायोजक मनमानी कर मजदूरों को भारी आर्थिक एवं मानसिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिन्होंने कर्मचारियों के कोरोना काल से पहले के वेनत एवं भत्ते तथा अन्य सुविधाएं गटकनी शुरू कर दी है, जिनका महामारी से कोई लेनादेना नहीं है। यहां तक कि जो कारखाने जैसे शुगर मिल कोरोना काल में भी चालू रहे और कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए कारखानों को सुचारू रूप से चलाया लेकिन सेवायोजक उनको मिलती आई सुविधाओं और भत्तों को भी काट रहे हैं जिसको लेकर मजदूरों में आक्रोश बढता जा रहा है।
अपनी इच्छानुसार फसलों का बीमा करा सकेंगे किसान
दीपक वर्मा @ शामली। जिला कृषि अधिकारी डा. हरिशंकर ने कहा है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी है अब किसान अपनी इच्छा के अनुसार अपनी फसलों का बीमा करा सकेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को देखते हुए शासन ने प्रधानमंत्री बीमा योजना को स्वैच्छिक कर दिया है। जानकारी के अनुसार जिला कृषि अधिकारी डा. हरिशंकर ने बताया कि शासन ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की अनिवार्यता समाप्त कर दी है, अब किसान अपनी फसलों का बीमा अपनी इच्छा के अनुसार करा सकेंगे। उन्हांेने बताया कि पहले केसीसी लेने वाले किसानों के लिए फसल बीमा कराना अनिवार्य था और किसानांे के खाते से फसल बीमा का प्रीमियम निर्धारित समय में कट जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा जो किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेना चाहेंगे, उन्हें ही इस योजना में शामिल किया जाएगा और जो किसान इस योजना से बाहर जाना चाहते हैं वह 24 जुलाई 2020 से पूर्व अपनी बैंक शाखा को लिखित रूप में अवश्य अवगत करा दें अन्यथा फसल बीमा कर दिया जाएगा और प्रीमियम की धनराशि भी काट ली जाएगी। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि गैर ऋणी किसान सीएससी बैंक, एजेंट व बीमा पोर्टल के माध्यम से स्वयं भी बीमा करा सकते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में खरीफ में अधिसूचित फसल जैसे धान पर कुल बीमित धनराशि का 2.00 प्रतिशत, रबी में अधिसूचित फसल हेतु जैसे गेहूं, सरसों पर कुल बीमित धनराशि का 1.5 प्रतिशत व बागवानी फसलों हेतु कुल बीमित धनराशि का 5.00 प्रतिशत प्रीमियम देय है। आंधी, तूफान, ओलावृष्टि के कारण तैयार फसल किसानों की नष्ट हो जाती थी, इससे किसान परेशान हो जाते थे जिसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी लेकिन प्रीमियम कटने के बावजूद भी ज्यादातर किसानांे को बीमा का लाभ नहीं मिलता था जिसके कारण किसानों ने पिछले कई वर्षोे से स्वेच्छानुसार फसल बीमा किए जाने की मांग शासन से की थी। शासन ने भी किसानों की परेशानी को देखते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को स्वैच्छिक कर दिया है।