नई दिल्ली। पुरानी दिल्ली की शाही फतेहपुरी मस्जिद के मुअज्जिन समेत 12 कर्मचारियों को नौ महीने से तनख्वाह नहीं मिली है। वहीं, वक्फ बोर्ड का कहना है कि इन कर्मियों की तनख्वाह तकनीकी आधार पर रुकी हुई है और दिक्कत के दूर होते ही वेतन जारी कर दिया जाएगा। चांदनी चौक के पश्चिमी छोर पर स्थित 17वीं सदी की मुगलकालीन इस मस्जिद में मुअज़्जिन (अज़ान देने वाले), दरबान (द्वारपाल), सफाई कर्मियों और मुंशी समेत 12 कर्मचारियों को वक्फ बोर्ड से पिछले साल मई तक वेतन मिला है।
मस्जिद के मुअज्जिन अब्दुल मोमिन ने आरोप लगाया है कि मस्जिद के 12 कर्मचारियों ने न्यूनतम मजदूरी के लिए मुकदमा किया हुआ है, जिस वजह से उनकी तनख्वाह रोकी गई है। उन्होंने दावा किया, ”हम लोगों को नौ महीने से तनख्वाह नहीं मिली है। हमें पिछली बार मई 2020 में दो महीने का वेतन जारी किया गया था, उसके बाद से तनख्वाह नहीं मिली है। इसे लेकर हमने बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान से मुलाकात की थी और तनख्वाह जारी करने की गुजारिश की थी, लेकिन उन्होंने मुकदमा वापस लेने को कहा है।
” खान से इस बाबत संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन वह टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हुए। वहीं, बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘दिल्ली सरकार के सहायक ऑडिट अधिकारी (एओओ) ने उन कर्मियों के नियुक्ति पत्र मांगे हैं। उनकी तनख्वाह तकनीकी आधार पर रूकी है और जैसे ही ये दिक्कत दूर हो जाएगी, हम उन्हें तनख्वाह दे देंगे। ” उन्होंने कहा, ”ये वक्फ बोर्ड के कर्मचारी नहीं हैं, इन्हें मस्जिद के इमाम साहब ने रखा था, लेकिन हम उनकी तनख्वाह दे रहे थे, जो ऑडिट की वजह से रुकी है।
” उधर, शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम ने कहा, ”मेरे पास वक्फ बोर्ड में किसी को नियुक्त करने का अधिकार नहीं है। मैंने उनके आवेदन बोर्ड को भेज दिए थे जिन्हें बोर्ड ने स्वीकार कर लिया था और तनख्वाह देना शुरू कर दिया था।” बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष चौधरी मतीन अहमद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”ये बोर्ड के ही कर्मचारी हैं और उन्हें बोर्ड तनख्वाह देता आया है। बोर्ड को अब भी उनकी तनख्वाह जारी करनी चाहिए। ” चांदनी चौक की एक ओर लाल किला है और दूसरी ओर फतेहपुरी मस्जिद है। इस मस्जिद का निर्माण 1650 में मुगल बादशाह शाहजहां की एक पत्नी फतेहपुरी बेगम ने कराया था।