लखनऊ। मादक पदार्थों यानी नशे के सेवन की समस्या वैश्विक स्तर पर भयानक रूप से फैल चुकी है। विभिन्न रूपों रूपों में नशे के आदि हो चुके युवक उसे प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा पहुंचते हैं। इससे सामाजिक, पारिवारिक समस्याओं के साथ-साथ छिनतई, चोरी, छेड़छाड़, व्यभिचार की समस्याएं सामने आती हैं। नशे के सेवन की समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए जमीनी स्तर पर कार्रवाई करने के साथ-साथ जागरूकता भी बेहद जरुरी है। जिसके लिए सभी विभाग आपसी समन्वय स्थापित कर कार्रवाई के साथ जागरूकता पर भी विशेष ध्यान दें। उक्त बातें बुधवार को अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस पर कलेक्ट्रेट स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में जिलाधिकारी सूर्य पाल गंगवार ने स्वापक नियंत्रण के परिप्रेक्ष्य में नीति विषयक मामलों में सुधार के मैकेनिज्म को विकसित करने के लिए और नारको को-ऑर्डिनेशन सेंटर (एनसीओआरडी) की जिला स्तरीय समिति की मासिक बैठक के दौरान कहीं। जिलाधिकारी ने कहा एनकार्ड मैकेनिज्म का उद्देश्य मादक पदार्थो के डिमांड रिडक्शन, सप्लाई रिडक्शन, हार्म रिएक्शन की दिशा में कार्य करना है। जिसमें जनपद के विभिन्न विभागों के मध्य समन्वय होना बेहद जरुरी है। जनपद के विभिन्न डीएलईए (डिस्ट्रिक लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी), सीबीएन (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स) एंव एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) के अधिकारियों के मध्य समन्वय स्थापित करते हुए सूचना तंत्र विकसित कर मादक पदार्थों की तस्करी के तरीके/ स्थलों / संलिप्त व्यक्तियों आदि को सूचना साझा करते हुए मादक पदार्थो की तस्करी की रोकथाम के लिए संयुक्त टीम बनाकर प्रवर्तन की कड़ी कार्रवाई की जाए। जिलाधिकारी ने एनकार्ड मैकेनिज्म के सम्पूर्ण विषय को दो श्रेणियों में विभाजित कर कार्य योजना को मूर्त रूप देने के लिए निर्देश दिए।
दो श्रेणियां-सुधारात्मक उपाय और निरोधात्मक उपाय:
जिलाधिकारी सूर्य पाल गंगवार ने बताया एनकार्ड मैकेनिज्म के सम्पूर्ण विषय को दो श्रेणियों में बांटते हुए कहा कि सुधारात्मक उपाय के अंतर्गत जनपद में युवाओं द्वारा नशा किये जाने की प्रवृत्ति के मूल कारणों तथा प्रक्रियाओं के बारे में सूचना एकत्र कर विभिन्न स्तरों यथा परिवार, विद्यालयों, सामाजिक व धार्मिक समागम स्थलों पर जन-जागरूकता अभियान पर जोर दिया जाए। जो लोग कतिपय कारणों से नशे की गिरफ्त में आ गये है, उन्हें सामाजिक / चिकित्सीय उपागमों के माध्यम से संबल प्रदान करते हुए समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के उपाय पर काम करें। समाज में बढी हुई नशे की प्रवृत्ति के विभिन्न कारणों में से एक प्रमुख कारण चिकित्सीय औषधियों का आवश्यकता से अधिक प्रयोग भी है जो न केवल व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को समाप्त करता है। बल्कि उन्हें विभिन्न दवाओं का आदी भी बना देता है। इसके अतिरिक्त नशीले पदार्थों का अनावश्यक/ अवैध उपभोग तो न केवल व्यक्ति बल्कि पूरे समाज को नुकसान पहुंचाता है।
जिलाधिकारी ने बताया समाज में वैध एवं अवैध नशीले पदार्थो की उपलब्धता के दृष्टिगत आम जनमानस में नशीले पदार्थों के विरुद्ध व्यापक जागरूकता प्रसारित किए जाने की आवश्यकता है और दवाई का दुरूपयोग से सावधान करते हुए लोगों को बचाया जाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए बच्चों को बाल्यकाल से ही तत्सम्बन्धी शिक्षा दिये जाने की आवश्यकता है। बच्चों को प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक के सभी प्रतिष्ठानों में नशे के विरुद्ध सचेत किये जाने के लिए संसाधन उपलब्ध होने चाहिए। किशोरावस्था में बच्चे परिवार के सुरक्षा घेरे से मुक्त होकर बडे विद्यालयों व आवासीय प्रतिष्ठानों में शिक्षा के लिए जाते है तो वहां का माहौल उन्हें प्रभावित करता है। यदि उन्हें दूषित माहौल / संगत मिलती है तो वह नशे के चक्रव्यूह में फंस जाते है। जितने भी नशीले पदार्थ है वह हमारी शारीरिक व मानसिक क्षमता को समाप्त करते है के विरूद्ध संकल्प लें। समाज के सभी वर्गों में नशा उन्मूलन को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए आयु उपयुक्त हस्तक्षेप अपनाये जाने की जरूरत है। इस तरह के प्रयोग से काफी हद तक बच्चों को नशे के सेवन से बचाया जा सकता है।
विरुद्ध निरोधात्मक उपाय:
जिलाधिकारी ने कहा नशे के विरुद्ध निरोधात्मक उपाय के अंतर्गत नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार पर अंकुश लगाया जाना आवश्यक है। प्रतिबंधित दवाओं का दुरुपयोग, तस्करी पर नियंत्रण लगाने के लिए मेडिकल स्टोर पर नारकोटिक्स आधारित दवाओं का दवा विक्रेता द्वारा पृथक से लेखा-जोखा रखा जाये। उक्त दवाओं का लेखानुसार मिलान न होने पर अनुज्ञापन के विरूद्ध कार्यवाही की जाय। औषधि विभाग को समय-समय पर दवाओं के नमूने लेकर उनकी जांच कराये जाने के निर्देश भी दिये गये है। इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कालेज एवं अन्य पेशेवर पाठ्यक्रमों से संबंधित छात्रावासों में और मलिन बस्ती के आस पास ड्रग्स का सेवन होने की प्रबल सम्भावना रहती है जो ड्रग उत्पादन से लेकर उपभोग तक की अंतिम और इसके दुष्परिणामों से अनभिज्ञ कड़ी मात्र है। विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों के समन्वय से ऐसे मामलों में बैक ट्रेस प्रणाली के माध्यम से मुख्य सप्लायर/ कड़ी तक पहुंचा जा सकता है।
नशीले पदार्थों के विरुद्ध स्कूल, कॉलेज में फैलाए जागरूकता
जिलाधिकारी ने स्कूल, कॉलेज में जागरूकता फैलाने के लिए पम्पलेट, फोटो, लिटलेचर का प्ररूप बनाकर एवं संबंधित विषय के विडियो को शिक्षा विभाग को उपलब्ध करायें। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शैक्षणिक संस्थानों में नशीले पदार्थों के विरूद्ध नियमित रूप से जागरूकता का कार्यक्रम आयोजन करने के निर्देश दिए। विद्यालयों में आयोजित होने वाली शिक्षणेत्तर गतिविधियों यथा वाद-विवाद, निबंध, पेटिंग आदि कार्यक्रमों में मादक वस्तुओं के सेवन से दुष्प्रभावों के विषय वस्तु को शामिल किया जाए। सभी विद्यालयों में एंटी ड्रग टुबैको टीम बना दी जाये। बच्चों से नशा मुक्ति के संबंध में वाद विवाद प्रतियोगिता और संवादों के माध्यम से चेतना का प्रसार नियमित रूप से किया जाये। इसके लिए निबंध लेखन, रैली जैसे जागरूकता अभियान चलाये जाये। विद्यालयों के आस-पास स्थित पान-सिगरेट, तम्बाकू की दुकानों को स्थायी रूप से हटाने के लिए नगर निगम से सहयोग प्राप्त किया जाये।
स्कूलों, कालेजों में एक कमेटी का गठन किया जाए जो युवाओं में जागरूकता फैलाकर ऐसे स्वयं सेवकों का समूह तैयार करें, जो अपने स्कूल / कॉलेजों में मादक पदार्थों के दुरुपयोग पर कड़ी नजर रखें व ऐसी कोई सूचना होने पर गठित कमेटी को तत्काल सूचित करें। जिससे कमेटी की सूचना के आधार पर प्रशासन, पुलिस, औषधि विभाग व आबकारी विभाग की संयुक्त टीम द्वारा मादक पदार्थो के तस्करी एवं दुरूपयोग में संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही की जा सके।
बैठक में जिलाधिकारी के कथन से सभी सदस्यों ने सहमति व्यक्त किया कि नशीली दवाओं का दुरुपयोग हमारे समाज की प्रमुख समस्या है और सभी सदस्यों द्वारा संकल्प लिया कि जीवन को हॉ व नशे को न कहें का प्रचार प्रसार के माध्यम से आम जनमानस को जागरूक किया जायेगा।
बैठक में सहायक पुलिस उपायुक्त राघवेन्द्र सिंह, जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह, सहायक आबकारी आयुक्त भूपेन्द्र सिंह, आबकारी निरीक्षक विजय कुमार शुक्ल, कृष्ण कुमार सिंह, कीर्ति प्रकाश पाण्डेय, विवेक सिंह, विजय, अखिल कुमार गुप्ता, अभिषेक सिंह, कौशलेन्द्र रावत, अरविन्द पाल बघेल, राज्य कर विभाग डिप्टी कमिश्नर कुंवर रोविन्स, डीएसडब्ल्यूओ ऑफिस से अनूप कुमार श्रीवास्तव, एडीओ नोडल एग्रीकल्चर वीएस मिश्रा, प्राध्यापक/ प्रतिनिधि जिला विद्यालय निरीक्षक धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव व औषधि निरीक्षक नीलेश शर्मा उपस्थित रहे।