सावधान : अदृश्य कातिल मांझे से

स्वाधीनता दिवस निकट आ रहा है। अमृत महोत्सव, जी -20 के साथ साथ पतंगबाजी का शौक भी परवान चढ़ रहा है।
दिल्ली सहित उत्तर भारत में स्वाधीनता दिवस, रक्षाबंधन के समय पतंगबाजी का शौक प्रतिवर्ष एक त्यौहार सा बन गया है। पतंगबाजी के दीवाने बच्चे क्या नौजवान और अधेड़ तक हैं और पतंगबाजी के मनहूस शौक में अनजाने ही निरपराध पक्षियों और मनुष्यों की जान ले रहे हैं।मनहूस इसलिए कि प्रतिवर्ष हृदयविदारक दुर्घटनाएं घट रही हैं।बाल -युवा असमय अचानक दुर्घटना के शिकार हो, काल के गाल में समा रहे हैं।किसी का पूरा परिवार तबाह हो जा रहा है किसी को पेच लड़ाने में मजा आ रहा है। दु:खद घटना समाचार पत्र में मात्र छोटी सी खबर बन रह जाती हैं। प्रतिवर्ष अपने आसपास ही घटने वाली दुर्घटनाओं से समाज कोई शिक्षा नहीं ले रहा है। सामान्य जन को तो इतनी समझ नहीं, परंतु जो पतंग वाली का शौक फरमाते हैं वे भी सरकार को ही जिम्मेदार ठहराते हैं।
सरकार ने चीनी माझे पर कई वर्षों से प्रतिबंध लगा रखा है। सरकार ने अपना काम कर दिया, प्रशासन, पुलिस भी मुस्तैद। 2-4 दुकानदारों से थोड़ा बहुत माल जब्त कर चालान काट, जुर्माना लगा, कर्तव्य की इतिश्री कर निश्चिंत हो जाती है। परंतु प्रतिवर्ष चीनी माझे से होने वाली दुर्घटनाएं कम होने के स्थान पर बढ़ ही रही हैं।
व्यापारी को तो व्यापार करना है। जब शराब, भांग, ड्रग्स, छुरी, तमंचे आदि वस्तुओं की वैध अवैध बिक्री चल रही है, तो माझे की भी हो रही है। आखिर कुछ दुर्घटनाओं से व्यापार थोड़ी न बंद कर लिया जाएगा ! पुलिस प्रशासन का कार्य तो सभी को सहयोग करना है!
यह चीनी माझा ऐसा अदृश्य कातिल है कि जो दिखता नहीं। प्लास्टिक, कांच और धातु के मिश्रण से बने मांझे के लपेटे में आने पर इसके जहरीले वार से बचना असंभव हो रहा है।विडंबना शौकीनों का शबब है कि उनसे शौक छूटता नहीं। पुलिस बेचारी क्या करे! किस को पकड़े, किसको न पकड़े ? और यह तो तब है जब पुलिस वाले भी इस जानलेवा माझे के शिकार हो रहे हैं।
आवश्यकता समाज में मानसिक चेतना के जागरण की है।विचार करें, पतंगबाजी के खेल में कौन सा शारीरिक, मानसिक बौद्धिक, विकास होता है? व्यस्क विवेकीजन -वर्तमान बाल, किशोर, युवाओं को प्यार से समझायें। धीरे-धीरे हतोत्साहित करेंगे तो निश्चित रूप से इस बेतुके खेल पर लगाम लगेगी। यह मात्र कुछ दिनों का होता है अगर हम सभी ने अपनी जिम्मेदारी समय पूर्व ठीक से निभाई तो अनेक लोगों, परिवारों को अदृश्य, अनचाही दुर्घटनाओं से बचा सकते हैं। आइए, अपने परिजनों, आसपास के बच्चों के संग बैठकर इस विषय पर चर्चा कर जागरूकता बढ़ाएं। श्रावण मास में निस्वार्थ, निशुल्क सेवा का सुअवसर उपस्थित हैं।