IN8@रोहतक— पीजीआई में कोरोना वैक्सीन को लेकर चल रहे ट्रायल को लेकर 375 वालिटयरर्स को वैक्सीन दी गई है। पहले जिन वॉलिटयरर्स को वैक्सीन दी गई थी, उनके ब्लैड सैम्पल लिए गए है। डाक्टरों की टीम का मानना है कि अगस्त माह के अंत तक सैम्पल रिपोर्ट आ जाएगी, जिससे पता चलेगा कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीन कितनी कारगर साबित है। हालांकि डाक्टरों का कहना है कि अभी तक सुरक्षा मापदंडों पर वैक्सीन का पूरी तरह से सफल प्रशिक्षण रहा है और आगे भी उम्मीद है कि वैक्सीन संक्रमण रोकने के लिए राहत भरी खबर देगी।
बताया जा रहा है कि जिन लोगों को वैक्सीन दी गई है, उनकी विशेष तौर पर निगरानी रखी जा रही है और किसी तरह का भी कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आया है। इसके अलावा काले पीलिया को लेकर दी जाने वाली दवाई पर भी रिसर्च चल रहा है कि आखिर यह दवाई भी कोरोना संक्रमण रोकने को लेकर कितनी कारगर साबित होती है। बकायदा इसके लिए अलग से डाक्टरों की टीम काम कर रही है। दरअसल रोहतक पीजीआई सहित देश के 13 मेडिकल संस्थानों में कोरोना वायरस रोकने को लेकर वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है। हालांकि अभी तक रूस ने वैक्सीन बनाने का दावा किया है।
इस दावे को लेकर रोहतक पीजीआई के डाक्टरों की टीम का कहना है कि रूस की तर्ज पर ही यह स्वदेशी वैक्सीन है और इसका रिजल्ट भी बेहतर साबित होगी। टीम की इंचार्ज डाक्टर सविता वर्मा का कहना है कि 375 वॉलिटयरर्स को वैक्सीन दी गई है और पहला फेज पूरी तरह से सफल रहा है। डा. रमेश वर्मा ने बताया कि अगस्त माह के अंत तक अच्छी खबर सामने आने की उम्मीद है। वॉलिटयरर्स की ब्लैड सैम्पल रिपोर्ट पर काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि जिन वॉलिटयरर्स को वैक्सीन दी गई है, उनमें कोई भी साइड इफेक्ट नजर नहीं आया है और सुरक्षा मापदंडों पर खरी उतरी है। पीजीआई के गेस्ट्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रवीन मल्होत्रा के नेतृत्व में एक टीम काला पीलिया को लेकर दी जाने वाली दवाई पर रिसर्च पर जुटी है। बताया जा रहा है कि करीब 15 सौ लोगों पर दवाई दी जा रही है। अभी इसका परिणाम आना भी बाकी है।