- गड्ढ़ों में तब्दील हुई जिले की अधिकांश सड़के, हाईवे, राजमार्ग के हाल भी बुरे
- सड़कों पर गड्ढ़ों की वजह से हो रहे अधिकांश हादसे, जिम्मेदार सोए कुंभकर्णी नींद
दीपक वर्मा@शामली। अगर आपको किसी मरीज को अस्पताल में उपचार के लिए ले जाना है, तो ईलाज से पहले मरीजों को जानलेवा हिचकोले खाने पड़ेंगे। यदि इन हिचकोलों से जान बच गई, तब ही अस्पताल में उपचार शुरू हो पाएगा। यहां गर्भवती महिलाओं के लिए तो अस्पताल जाना किसी बड़ी चुनौती से कम नही है। सड़कों में गड्ढ़ों की वजह से रोजाना लोगों की जान जा रही है, लेकिन जिम्मेदार सिर्फ कागजों में लंबी-लंबी सड़कें बनाने का दावा कर रहे हैं।
जी हां, यह स्थिति है वेस्ट यूपी के शामली जनपद की। यूं तो कागजों में इस जनपद की सड़कों का आने वाला भविष्य स्वर्णिम नजर आता है, लेकिन वर्तमान में सड़कों की स्थिति बेहद ही गंभीर है। बरसात के बाद तो जैसे हालात और भी बिगड़ गए हैं। जिले में ऐसी सड़कें ढूढ पाना मुश्किल है, जहां बड़े बड़े गड्ढे ना नजर आते हों। सड़कों की दुर्दशा को लेकर जनता रोजाना जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के चक्कर काटती है। लोग भूखहड़ताल तक कर चुके हैं, लेकिन इन सबके बावजूद भी कोई नतीजा नही निकल पा रहा है। सड़कों के मेंटिनेंस को लेकर कागजी सफर लंबी-लंबी छलांगे मार रहा है, लेकिन धरातल की स्थिति बेहद ही चिंताजनक हो गई है। इसके चलते रोजाना सड़कों पर मौजूद गड्ढ़ों की वजह से लोगों की जान जा रही है।
मौत के कुए में चलने रहे वाहन
शामली जिले के गांव देहात के साथ साथ शहरी क्षेत्रों में भी सड़कों की हालत बेहद ही खराब है। यहां सड़कों पर दौड़ने वाली गाड़ियां एक तरह से मौत के कुए का सफर तय करती है। वाहन चालकों ने यदि गड़ढ़ों को ना बचाया, तो उनकी गाड़ी में नुकसान होना तय है और यदि वें रफ्तार में इधर उधर से होकर अपने वाहन को निकालते हैं, तो इन करतबों की वजह से होने वाले हादसों के कारण लोगों की जान चली जाती है।
मेंटिनेंस के नाम पर धन की बंदरबांट
अगर देखा जाए, तो सड़कें भी अलग अलग विभागों के अंडर में आती है। लोक निर्माण विभाग से लेकर नगर निगम और अन्य विभाग भी सड़कों का मेंटिनेंस करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, लेकिन शामली जिले में सड़कों का यही मेंटिनेंस ठेकेदारों और अफसरों की कमाई का जरिया बन जाता है। खानापूर्ति कर गड्ढ़ों को पाटने के चलते दो गड्ढ़ों में से सिर्फ एक पर ही खराब माल डाला जाता है, जिसके चलते कुछ ही दिनों बाद फिर से गड्ढ़े सड़कों पर गुल खिलाते नजर आते हैं।
मरीजों को होती है भारी परेशानी
सड़कों में गड्ढ़े होने के चलते मरीजों को अस्पताल पहुंचने से पहले हिचकोले खाने पड़ते हैं। यह हिचकोले कई बार गंभीर मरीजों और गर्भवती महिलाओं की जान पर भारी पड़ जाते हैं। हिचकोले खाने के बाद सुरक्षित रहने वाले मरीज यदि गड़ढ़ों और जाम से होकर निकल जाएं, तभी उन्हें अस्पतालों में उपचार नसीब हो पाता है।