नेपाल ने पिछले साल अपनी संसद में विवादित मैप पारित करवाया था, जिसके बाद भारत से उसके रिश्ते खराब हो गए। बॉर्डर मुद्दे पर दोनों देश काफी हद तक आमने-सामने आ गए थे, लेकिन चीन की असलियत समझ में आने के बाद नेपाल फिर से भारत पर निर्भर हो गया है। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। इसमें दोनों नेताओं ने सम्पर्क, इकॉनमी, कारोबार, ऊर्जा, तेल एवं गैस, सीमा मुद्दा, कोरोना वैक्सीन, पर्यटनों आदि पर विस्तार से बातचीत की। इस बैठक में नेपाल ने भारत से जल्द कोरोना की वैक्सीन देने का आग्रह किया। वहीं, सीमा विवाद के जल्द निपटारे की मांग की। प्रदीप कुमार ग्यावली के साथ स्वास्थ्य सचिव भी भारत दौरे पर आए हैं।
बैठक खत्म होने के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने महामारी से निपटने के लिए काम किया है। नेपाली विदेश मंत्री ने कोविशिल्ड और कोवैक्सीन के टीकों के प्रोडक्शन में भारत की सफलता की सराहना की है और अपने देश के लिए जल्द टीके की मांग भी की। बता दें कि नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली गुरुवार को तीन दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे हैं। वे 14-16 जनवरी तक भारत की यात्रा पर रहेंगे।
नेपाल भारत को अपने टीकाकरण कार्यक्रम के पहले फेज के लिए सहायता के रूप में टीके प्रदान करने के लिए देख रहा है। उसे इसके लिए 20 फीसदी आबादी के लिए एक करोड़ दस लाख खुराक की आवश्यकता होगी। वहीं, नेपाल की सीरम इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया और भारत बायोटेक सहित विदेशी सप्लायर्स से लाखों खुराकें खरीदने की भी योजना है। इस घटनाक्रम से परिचित लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 16 जनवरी को भारत के टीकाकरण अभियान की शुरूआत होने के बाद एक्सपोर्ट पर फैसला लिया जाएगा। घरेलू प्रोडक्शन और यहां की जनता के लिए डोज का आकलन करने के बाद, मित्र देशों को खुराक देने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। इन देशों में नेपाल भी शामिल है।
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक के दौरान, नेपाली विदेश मंत्री ग्यावली ने पिछले एक साल से चले आ रहे सीमा विवाद का मुद्दा भी उठाया। इस मामले के जानकार लोगों ने बताया कि उन्होंने मुद्दे का तत्काल समाधान करने के लिए कहा। हालांकि, इन चचार्ओं को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं सामने आया, लेकिन ग्यावली ने इंडियन काउंसिल आॅफ वर्ल्ड अफेयर्स की स्पीच के दौरान बॉर्डर मुद्दे का जिक्र किया। नेपाल के विदेश मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि दोनों पक्षों ने इस मुद्दे पर मतभेदों के बावजूद समग्र भागीदारी जारी रखते हुए समझदारी दिखाई है। उन्होंने कहा, “हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हमें किसी भी तरह इस मुद्दे को बकाया मुद्दे की तरह नहीं छोड़ देना है…नहीं तो एक दोस्ताना रिश्ते में चिड़चिड़ापन पैदा हो सकता है।”
वहीं, ग्यावली ने कालापानी और सुस्ता के बीच में 1800 किलोमीटर की सीमा पर पैदा हुए विवाद के जल्द निपटारे के लिए कदम उठाए जाने की बात की। उन्होंने कहा कि संबंधों के स्वास्थ्य और सद्धाव के लिए विश्वास को बनाने और उसे नर्चर करना काफी जरूरी है। इसी भावना से हम सीमा से जुड़े सवाल को हल करने के लिए बातचीत शुरू करना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा, ”इसका हल ढूंढने से न सिर्फ हमें एक इंटरनेशनल बाउंड्री मिल सकती है, बल्कि जनता के बीच में पॉजिटिव वाइब भी पैदा होगी। इसके साथ ही, दोनों देशों के संबंधों में विश्वास भी बढ़ेगा।”
बता दें कि नेपाल सरकार द्वारा पिछले साल विवादित नया नक्शा प्रकाशित किए जाने के कारण उभरे सीमा विवाद के बाद इस देश के किसी वरिष्ठ नेता की यह पहली भारत यात्रा है। इस विवादित मैप में भारतीय क्षेत्र लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया था। नेपाल के इस कदम पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी और उसके दावे को खारिज किया था।