सुप्रीम कोर्ट ने पुरी के प्रसिद जगन्नाथ मंदिर में ओडिशा सरकार द्वारा अवैध उत्खनन और निर्माण कार्य का आरोप लगाने वाली याचिका पर अपना आदेश शुक्रवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि वह पक्षकारों के वकीलों द्वारा अपनी दलीलें पूरी करने के बाद अपना आदेश सुनाएगी।
What was in the petition?
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावानी ने कहा कि एक स्पष्ट प्रतिबंध है कि निषिद्ध क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने (राज्य सरकार) विनियमित क्षेत्र में निर्माण की अनुमति तक नहीं ली। उन्होंने कहा कि राज्य को राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) से अनापत्ति प्रमाणपत्र मिला और वह आगे बढ़ गया। उन्होंने कहा कि एनएमए एक वैध प्रमाण पत्र नहीं दे सकता था और यह केवल केंद्र या राज्य सरकार में पुरातत्व के निदेशक ही कर सकते हैं।
याचिका के अनुसार, राज्य की एजेंसियां प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 की धारा 20ए के घोर उल्लंघन में काम कर रही हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ओडिशा सरकार अनधिकृत निर्माण कार्य कर रही है। इसने कहा कि यह प्राचीन मंदिर की संरचना के लिए एक गंभीर खतरा है।