-अगले एक माह कोरोना का आंकड़ा 30-40 लाख के पार
प्रमोद शर्मा@ गाजियाबाद। देश में कोविड-19 (कोरोना वायरस) की रफ्तार निरंतर बढ़ रही है। नागरिकों ने यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात पूरी तरह मान ली होती तो आज देश कोरोना मुक्त हो जाता। 25 मार्च से संपूर्ण देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया था। प्रत्येक व्यक्ति से जहां-कहीं पर भी है, वहीं रहने की अपील की गई थी। प्रभावित नागरिकों के लिए राशन-खाना की व्यवस्था की गई थी, मगर पीएम की अपील को गंभीरता से नहीं लिया गया। यह कहना है कि सोशल चौकीदार के.के. शर्मा का है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तब्लीगी जमात ने जगह-जगह कोरोना फैलाया। इसके चलते केंद्र सरकार को लॉकडाउन बढ़ाना पड़ा। राज्य सरकारों ने मजदूरों को खाना-भोजन नहीं दिया बल्कि उन्हें अपने घरों को भगाने के लिए सुविधाएं दीं ताकि उन्हें राशन न बांटना पड़े, मगर अब पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात एवं अन्य राज्य सरकारें कोरोना को नही रोक पाईं और कोरोना फैलाने के इच्छुक तत्वों ने मजदूरों को भडक़ा दिया और फिर मजदूरों का पलायन होता रहा। अबकी बार मजदूर कोरोना लेकर गांव में गए हैं और अब तक जो गांव सुरक्षित थे, वहां कोरोना फैलेगा ही और संभलेगा नहीं।
पीएम मोदी और सीएम योगी दोनों सरकारी मशीनरी पर अपने जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं से ज्यादा भरोसा करते हैं, मगर सरकारी मशीनरी राशन किट मजदूरों तक नहीं पहुंचा पाई। जिस कारण शेष मजदूर पुन: पलायन के लिए मजबूर हो गए। ऐसे भी मजदूर जिनके सामने भोजन की समस्या नहीं थी वह भी पलायन कर कोरोना लेकर गांवों में जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में लॉकडाउन का कोई अर्थ नहीं रहा। ऐसे में अगले एक माह में कोरोना का आंकड़ा 30-40 लाख पहुंच जाएगा। उनका कहना है कि सच बात यह है कि मोदी का लॉकडाउन फेल नहीं हुआ। हम सबने मिलकर मोदी और योगी को फेल करने का पूरा प्रयास किया और वास्तविक लॉकडाउन होने नहीं दिया। अभी तो मजदूर के पलायन का मामला चल रहा है। पलायन हुआ नहीं, कराया गया है इसलिए अब मजदूर जो गांव में पहुंच गए हैं, उन्हें वहां कोई सुविधा नहीं है। इसलिए लौटने की तैयारी शुरू हो गई है और कुछ ठेकेदार 1 हजार रुपए में लोगों को घर में ले गए थे और 1 हजार रुपए में वापस भी ला रहे हंै।