विनोद पांडेय@ गाजियाबाद। जनपद में कोरोना संक्रमण को रोकने तथा संक्रमित मरीजों की पहचान व उन्हें यथोचित उपचार उपलबध कराने के लिए माइक्रो लेवल प्लान तैयार कर उसे गंभीरता से लागू भी किया जा रहा है।
आईएलआई और सारी के मरीजों पर जिला प्रशासन का फोकस है। जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने इसका पांच स्तरीय माइक्रो प्लान लागू किया है। जनपद में जो कोविड अस्पताल हैं, वहां पर भर्ती आईएलआई एवं सारी के मरीजों के स्वास्थ्य की नियमित जानकारी ली जा रही है। सभी रजिस्टर्ड अस्पतालों (नॉन कोविड) का एक ग्रुप बनाया गया है।
उस ग्रुप में प्रत्येक अस्पताल को यह सूचना देनी होगी कि आपके अस्पताल में आईएलआई एवं सारी के लक्षण वाले कितने-कितने मरीज ओपीडी में आए, कितने मरीजों का टेस्ट कराया गया, उनमें से कितने पॉजिटिव और कितने निगेटिव हंै। धनात्मक पाये जाने पर मरीज को किस कोविड अस्पताल के लिए रैफर किया गया या भर्ती कराया गया। जिन चिन्हित व्यक्तियों का टेस्ट नहीं हुआ, उन्हें स्वास्थ्य विभाग की टीम लगाकर टेस्ट की कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं।
धनात्मक पाये जाने पर एल-2 और एल-3 में •ार्ती कराने की व्यवस्था •ाी की गई है। जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी को यह निर्देश दिए हंै कि वह निजी अस्पतालों को एंटीजैन किट उपलब्ध करा दें अथवा मुबेबिल टेस्टिंग टीम की व्यवस्था करा दें ताकि वह नॉन कोविड अस्पतालों में आईएलआई/सारी मरीजों का टेस्ट हो जाए और पॉजिटिव पाये जाने पर कोविड अस्पताल में भर्ती करा दिये जाएं। आईएलआई मरीजों को चिन्हित कराने के लिए प्रचलित व्यवस्था में सर्विलांस टीम भी मददगार साबित हो रही है। यह सर्विलांस टीम कंटेनमेंट जोन में ऐसे मरीजों का पता लगाकर उनका टेस्ट कराने की व्यवस्था में लगी है।
जिलाधिकारी ने बूथ लेबल आफिसरों को भी इस फ्रंट पर फिर से लगाने का निर्णय लिया है। एक बूथ लेबल ऑफिसर के पास लगभग 250 घर हैं। समस्त बूथ लेबल आफिसरों को निर्देशित किया गया है कि वह अपने-अपने क्षेत्र के प्रत्येक घर में टेलीफोन वार्ता कर आईएलआई/सारी के बारे में जानकारी लेंगे और यदि कही कोई आईएलआई एवं सारी के बारे में जानकारी प्राप्त होती है तो तत्काल संबंधित बूथ लेबल ऑफिसर चिकित्सकों को सूचना देकर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने का कार्य करेंगे।