Vat Savitri Vrat 2022 : पति की दीर्घायु सुख- समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए सुहागिनों ने रविवार को वट सावित्री व्रत रखा है। दो साल कोरोनाकाल के बाद इस बार सामूहिक रूप से महिलाओं को पूजा करने का मौका मिलेगा।
अमावस्या तिथि रविवार दोपहर दो बजकर 55 मिनट से अगले दिन सोमवार शाम पांच बजे तक रहेगी। हालांकि कुछ महिलाओं ने रविवार को व्रत रखा है तो कुछ सोमवार को व्रत रखकर वट वृक्ष (Vat Savitri Vrat 2022) के पास जाकर विधिवत पूजा करेंगी।
(Vat Savitri Vrat 2022) वट अमावस्या बेहद उत्तम व प्रभावी व्रत
कई सामाजिक संगठनों से जुड़ी महिलाएं इस विशेष दिन पर पौधे रोपकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देती हैं। ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले व्रतों में वट अमावस्या को बेहद उत्तम व प्रभावी व्रतों में से एक माना गया है। इस दिन महिलाएं वट वृक्ष (Vat Savitri Vrat ) की पूजा कर अखंड सौभाग्य की कामना करती है।
आचार्य डा. सुशांत राज के अनुसार, शास्त्रों में वट को देव वृक्ष बताया गया है। इसके मूल भाग में भगवान ब्रह्मा, मध्य भाग में भगवान विष्णु और अग्र भाग में भगवान शिव का वास माना गया है। देवी सावित्री भी वट वृक्ष में प्रतिष्ठित रहती हैं। ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष के नीचे ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। इसीलिए यह व्रत वट सावित्री के नाम से जाना जाता है।