पति से कम कमाने का हवाला देकर गुजारा भत्ते की मांग करने वाली महिला की याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया। सत्र अदालत ने कहा कि महिला शिक्षित है और नौकरी करती है। पति से तनख्वाह कम होने के आधार पर पत्नी गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती। सत्र अदालत ने मामले में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा जारी आदेश को बरकरार रखा है।
रोहिणी स्थित जेके मिश्रा की अदालत में महिला की तरफी से दलील दी गई थी कि उसकी शादी वर्ष 2018 में हुई। परिवार वालों ने ससुराल वालों को भरपूर दहेज दिया था, लेकिन पति और ससुरालवालों ने उसे कम दहेज लाने के लिए तंग करना शुरू कर दिया। इस कारण उसे अलग रहने पर मजबूर होना पड़ा। फिलहाल वह किराये पर रह रही है
पति की तरफ से बताया गया है कि पत्नी शादी के 17 दिन बाद से ही अलग रह रही है। वह घर छोड़ते समय जेवर और कीमती सामान साथ ले गई थी।
शपथ पत्र दाखिल करने के बाद मामला सामने आया
पेश मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों से आय को लेकर शपथपत्र दाखिल करने को कहा। साथ ही आयकर की कॉपी भी मांगी। दोनों पक्षों द्वारा पेश रिपोर्ट के अनुसार, जहां पति की मासिक आय 45 हजार रुपये पाई गई, वहीं पत्नी की मासिक आय 36 हजार रुपये पाई गई।
पत्नी की ओर से यह दलील दी गई
हालांकि, पत्नी का कहना था कि 10 हजार रुपये किराये में चले जाते हैं और बाकी बचे 26 हजार रुपये में गुजारा चलाना मुश्किल हो रहा है। अदालत ने कहा कि पत्नी का कमाना जरूरी है। अगर वह शिक्षित है और खुद का गुजारा चला सके तो वह किसी पर निर्भर नहीं होती। ऐसे में निचली अदालत द्वारा महिला की मांग को खारिज करने का फैसला न्यायसंगत है। इस पर दोबारा सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं है।