-शमशान जाकर गरीब रिक्शा चालक का कराया अंतिम संस्कार
-ममता सिंह व बबिता डागर ने पेश अनोखी मिशाल
प्रमोद शर्मा @ गाजियाबाद। जहां आज समाज में बेटी को भी बेटे के समान का दर्जा दिया जा रहा है। वही बेटियां भी अपना फर्ज निभाने में पीछे नहीं हट रही हैं। बेटियां हर वो फर्ज अदा कर रही हैं जो एक बेटा अदा करता है। कोरोना के डर के कारण जहां अपने भी अपनों का साथ छोड़ देते है। लेकिन जब कोई अंजान किसी की मदद करता है तो वह किसी फरिश्ते से कम नही होता है। ऐसा ही एक मामला विजयनगर क्षेत्र का है। जहां एक रिक्शा चालक अचानक मौत हो गई थी। जिसकी मदद के लिए कोई नही आया, पड़ोसी भी एक तमाशबीन बनकर सिर्फ तमाशा देखते रहें। रिक्शा चालक के छोटी बेटी ने फोन कर हर जगह सभंव मदद मांगी, लेकिन किसी ने उस परिवार की कोई मदद नही की। तभी सूचना पाकर अधिवक्ता चौधरी बबीता डागर मौके पर मदद के लिए पहुंची और उन्होने भी मदद के लिए विभिन्न संस्थाओं को फोन किया, लेकिन समाज में रहकर सिर्फ नाम कमाने वाली संस्थाओं ने बहाना कर मदद करने से अपना पल्डा छाड लिया।
अधिवक्ता ने फिर सहयोग के लिए जब ममता सिंह को फोन किया तो वह बिना किसी देरी के मौके पर पहुंची और हिंदू रिति रिवाज से शव को शमशान घाट ले जाकर खुद मुख अग्रि दी। बता दे कि शांति नगर ढूंढा हेड़ा (विजय नगर) निवासी रिक्शा चालक रामू की शनिवार को अचानक मौत हो गई थी। वह रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। परिवार पत्नि जो कि विकलांग एवं एक छोटी बेटी है। उसकी मृत्यु होने पर किसी आस पड़ोस के लोगो में से उसके परिवार की सहायता को कोई नही आया था। चौधरी बबीता डागर व आनन्द सेवा समिति की अध्य्क्ष ममता सिंह ने रामू के अंतिम संस्कार के लिए काफी लोगो को मानवता के लिए सहयोग करने अपील की। मगर इस दुख की घड़ी में किसी ने कोई मदद नही की। दोनों महिलाओं ने स्वंय बिना कुछ सोचे समझे चंद मिनटों में वहांं आकर उसके अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू की। मौके पर मौजूद लोग सिर्फ तमाशबीन बनकर विडियों बनाते रहें और देखते रहें। दोनों ने मिलकर खुद शव को हिण्डन पहुंचाया और हिंदू रिति रिवाज से शव का अंतिम संस्कार किया। दोनों ने सामाजिक बंधनों और परंपराओं को दरकिनार करते हुए जैसे ही रामू की चिता को मुखाग्नि दी वहां मौजूद सबकी आंखों में आसूओं का समंदर उमड़ पड़ा। यह कार्य कर महिलाओं ने एक नया इतिहास रचा हैै। किसी अनजान व्यक्ति के लिए समशान घाट जाकर वहां अंतिम क्रिया का कार्य पूर्ण कराया। ममता सिंह ने बताया कि इंसान को इंसान के काम आना चाहिए। फिर चाहे वो अपने हो या पराये।