- लाॅकडाउन के दूसरे दिन भी बंद रहे बाजार
- दो घंटे खुली दूध की दुकानें, किराना, फल, सब्जी की दुकानें रहीं बंद
- बिना वजह सडकों पर घूम रहे वाहन चालकों के चालान
दीपक वर्मा@ शामली। प्रदेश सरकार द्वारा लागू किए गए लाॅकडाउन का असर रविवार को भी देखने को मिला। हालांकि रविवार को साप्ताहिक बंदी का दिन था लेकिन लाॅक डाउन के चलते सभी गतिविधियां पूरी तरह बंद रही। सुबह के समय केवल दूध की दुकानें ही खुली, फल, सब्जियां व अन्य दुकानें पूरी तरह बंद रही। वहीं मेडिकल स्टोर पूरे दिन खुले रहे। लाॅक डाउन के चलते बाजार व सडकें पूरी तरह सुनसान रही।
सडकों पर इक्का-दुक्का लोग ही आते जाते नजर आए जिन्हें पुलिसकर्मियों ने कडी फटकार लगाते हुए लाठियां फटकारकर दौडा दिया। इस दौरान गली मौहल्लों में कई लोगों ने चोरी छिपे अपनी दुकान खोलकर ग्राहकों को सामान उपलब्ध कराया।
जानकारी के अनुसार प्रदेश में कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण व संचारी रोगों एनसिफेलाइटिस, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, कालाजार के संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने शुक्रवार की रात 10 बजे से सोमवार की सुबह 5 बजे तक लाॅक डाउन घोषित किया है। रविवार को भी लाॅक डाउन का पूरा असर दिखाई दिया। हालांकि रविवार का दिन साप्ताहिक बंदी के लिए निर्धारित है और केवल फल सब्जी, दूध की दुकानों को केवल 12 बजे तक खोलने की अनुमति है लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा लागू किए गए लाॅकडाउन में सभी प्रतिष्ठानों को पूरी तरह बंद रखने के निर्देश दिए हैं जिसके चलते रविवार को केवल दूध की दुकानें ही सुबह 7 से 9 बजे तक खुली, फल, सब्जी, किराना आदि की दुकानें पूरी तरह बंद रही।
मेडिकल स्टोर पूरे दिन खुले रहे। शनिवार को एसपी विनीत जायसवाल ने लाॅक डाउन का निरीक्षण कर बिना कारण सडकों पर घूम रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। एसपी के निर्देश के बाद रविवार को पुलिसकर्मी काफी चैकस नजर आए। जगह-जगह पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था जिन्होंने सडकों पर घूम रहे लोगों को लाठियां फटकारकर दौडा दिया। पुलिस ने सडकों पर बिना कारण घूम रहे वाहन चालकों के खिलाफ भी अभियान चलाकर कई बाइक सवारों को भी रोककर उनके चालान काटे।
शहर के धीमानपुरा, भिक्की मोड, सुभाष चैंक, रेलवे रोड, गांधी चैंक बडा बाजार, नया बाजार, कबाडी बाजार, फव्वारा चैंक, वीवी इंटर कालेज रोड हनुमान रोड, अस्पताल रोड, बुढाना रोड आदि पर पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा और लोग अपने घरों में ही कैद रहे। हालांकि गली मौहल्लों में कुछ लोगों ने अपनी दुकानें खोलकर ग्राहकों को सामान भी उपलब्ध कराया।