शहीद दिवस ःभगत सिंह, सुखदेव राजगुरु को याद किया
अमर शहीदों को किया शत-शत नमन

सुरेन्द्र सिंह भाटी@ बुलन्दशहर  शिकारपुर।  भारत माता को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए हंसते-हंसते बसंती चोला पहन फांसी का फंदा चूमने  वाले तीन अमर शहीदों भगत राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित की ।

 लोगों ने अमर शहीदों के चित्र पर माला चढ़ावे पुष्प अर्पित करते हुए नमन करते हुए उनका गुणगान किया शहीद भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव के 93 वें बलिदान दिवस के अवसर पर कस्बा शिकारपुर के लाल दरवाजा में  मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने शहीद दिवस मनाया गया।  इस अवसर पर शहीद भगत सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
  
  शहीद दिवस के मौके पर  मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता कामरेड सुरेश चंद ने कहा कि शहीद भगत सिंह व उनके साथियों का सपना था कि इंसान द्वारा इंसान का शोषण समाप्त हो । इतना ही नहीं उन्होंने कहा था कि जब तक आर्थिक सामाजिक राजनीतिक  लैंगिक अथवा क्षेत्र भाषा के नाम पर शोषण होता रहेगा आजादी का कोई मतलब नहीं होगा।
  
   कामरेड सुरेश चंद ने कहा कि आज सत्ता में ऐसे लोग बैठे हैं जो आजादी के आंदोलन में अंग्रेजों की दलाली कर रहे थे । क्रांतिकारियों की मुखबारी कर रहे थे।
   उन्होंने कहा कि आज देश की जनता की संपत्ति सार्वजनिक क्षेत्र को निजी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है। श्रम कानूनों को खत्म कर दिया गया है।

 स्थाई रोजगार समाप्त कर दिए गए हैं। शिक्षा  व स्वास्थ्य सेवाओं को निजी हाथों में दिया जा रहा है। परिणाम स्वरूप लोग अनपढ़ रहने,व बेमौत मरने को मजबूर हो रहे हैं।  किसान आत्महत्या कर रहा है। गरीबों से जमीनों को छीन कर फिर से निजी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है।
  
 उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे सत्ताधारी भाजपा के लोग  देश की जनता को धर्म और जाति के नाम पर बांट कर  देश की एकता अखंडता को ही खतरे में डाल रहे हैं । संविधान पर हमले किये जा रहे हैं। अल्पसमख्यकों दलितों, व महिलाओं पर हमले किये जा रहे हैं।

इसलिए जरूरी है कि मेहनत करने वाली जनता को एक एकत्रित होकर इन नीतियों का विरोध करना होगा।और भगत सिंह के सपनों के भारत का निर्माण करना होगा।
 इस अवसर पर रमेशचंद्र खैर,संजय करोटिया, समय कौर, संजय मारोठिया, कविता देवी, पंकज कुमार, बबली देवी, हाजी नासिर,बबलू कुमार, रमेश जैनवल,प्रदीप कुमार आदि भी मौजूद रहे।