सड़कों व सार्वजनिक स्थानों पर थूकना दिल्ली वालों की आदत बन गई है । मुंह में गुटखा या पान चबाकर दिल्ली वाले अपने आप को किसी शहंशाह से कम नहीं समझते और फिर पान या गुटखा चबाकर सड़कों पर थूककर वह किसी राजा महाराजा से अपनी तुलना करते हैं । एक तरफ जहां विश्व कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रहा है वहीं दिल्ली भी इससे अछूती नहीं है। दिल्ली में भी कोरोना वायरस थमने का नाम नहीं ले रहा है । दिल्ली वालों में जागरूकता का अभाव साफ देखा जा रहा है ।
कई बार ऑफिस आते-जाते समय मैं देखता हूं कि लोग पान और गुटखा खाकर सरेआम सड़कों व सार्वजनिक स्थानों पर थूकते नजर आ रहे हैं जबकि दिल्ली में थूकने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है वहीं जुर्माना भी लगाया हुआ है इसके बावजूद भी लोग सड़कों पर थूकने से गुरेज नहीं कर रहे हैं और अगर कोई उनसे ऐसा करने को मना करता है तो वह लड़ाई झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं जबकि उन्हें भी पता है कि ऐसा करने से हम अपनी जान के अलावा औरों की जान को भी खतरे में डाल रहे हैं ।
अभी ऐसा एक वाक्या मेरे साथ भी हुआ जब मैं अपने गांव से दिल्ली वापस आ रहा था । दिल्ली आने पर आनंद विहार बस स्टैंड से अपने यहां जाने वाली बस में बैठा । बसों में आजकल एक सीट पर एक ही आदमी बैठाया जा रहा है तो मेरे से अगली सीट पर एक महानुभाव ऐसे बैठे हुए थे जिन्होंने गुटका मुंह में खाया हुआ था और वह बार-बार शीसे से बाहर थूक रहे थे तो मैंने उनसे कहा भाई साहब कोरोना वायरस चल रहा है और आप बार-बार बाहर थूक रहे हैं और आपने मास्क भी नहीं लगाया तो वह मेरे से बोले कि भैया जेब में थूक लूं क्या फिर मैंने कंडक्टर और मार्शल से कहा यह आदमी बार-बार बस से बाहर थूक रहा है और इसने मास्क भी नहीं लगाया हुआ है तो कंडक्टर और मर्सल दोनों ने उस आदमी को फटकार लगाई और ऐसा दोबारा न करने की चेतावनी दी फिर वह आदमी चुपचाप अपनी सीट पर बैठा ।
यहां मैं यह वाक्या इसलिए बता रहा हूं कि कोरोना ने एक महामारी का रूप ले लिया है और यह लोगों के थूकने से भी फैल सकती है इसलिए सार्वजनिक स्थानों या सड़कों पर थूकने से परहेज करें और अपनी और दूसरों की जान खतरे में न डालें।
भरत कुमार निषाद (वरिष्ठ पत्रकार)