- मराठाकालीन चार प्राचीन शिवालयों से बंधी शामली के लोगों की अटूट आस्था
- दिल्ली पर हमले से पहले मराठों ने शामली में बनाई थी अपनी सैनिक छावनी
दीपक वर्मा@ शामली। महाभारत काल और मराठा संस्कृति की विरासत संजोए हुए शामली जनपद वेस्ट यूपी में आस्था की अनूठी मिसाल पेश करते हैं। यहां मराठा सैनिकों द्वारा बनाए गए चार शिवालय प्राचीन भारतीय संस्कृति के गौरवमयी इतिहास की पहचान है। खास बात यह है कि शामली के ये चार शिवालय कोरोना काल में भी सोशल डिस्टेंसिंग के लिए मुफीद हैं।
उपलब्ध प्रमाणों के अनुसार मराठा काल में दिल्ली को स्वतंत्र कराने के लिए मराठा सैनिकों ने शामली में पड़ाव डालते हुए यहां पर अपनी सैनिक छावनी बनाई थी। छावनी की सुरक्षा के लिए शहर की चारों दिशाओं में मराठा सैनिक तैनात थे, जिन्होंने शहर के चारों कोनों पर भगवान भोलेनाथ के शिवालयों की भी स्थापना की थी, तो आज भी मौजूद हैं। शामली के यें शिवालय प्राचीन भाकूवाला मंदिर, सदाशिव मंदिर, श्री मुक्तेश्वर महादेव शिव मंदिर (सतीवाला) और गुलजारी वाला मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। यदि मंदिरों की शिल्पकलां को बड़े गौर से देखा जाए, तो यें वर्तमान में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए भी मुफीद हैं। चारों मंदिरों में मौजूद शिवालय आकार में इतने छोटे हैं कि यहां पर एक समय में सिर्फ एक ही श्रद्धालु प्रवेश कर पूजा कर्म कर सकता है। इसके अलावा इन शिवालयों की शिल्पकला भी अपने आप में अनूठी है।
शहर की सुरक्षा करते हैं चारों शिवालय
शामली के चारों कोनों में बनाए गए शिवालय पुराने समय में शहर की सुरक्षा में भी इस्तेमाल होते आए हैं। यहां पर क्रांतिकारियों ने अपने ठिकाने बनाते हुए अंग्रेजों से लोहा लिया था, इसके प्रमाण आज भी मौजूद हैं। 1857 की क्रांति के दौरान भी क्रांतिकारियों द्वारा इन शिवालयों को प्रमुखता से अंग्रेजों पर हमले के लिए अपने ठिकानों के रूप में चुना गया था। आज भी लोगों का मानना है कि प्राकृतिक आपदाओं से शहर की जनता को बचाने में यें चारों शिवालय रक्षा सूत्र की तरह काम करते हैं।
सुरंग से एक दूसरे से जुड़े हैं शिवालय
मराठाकालीन शिवालयों के बारे में यह बात भी काफी प्रचलित है कि यें चारों शिवालय सुरंग के माध्यम से एक दूसरे से जोड़े गए थे। इन सुरंगों का इस्तेमाल सैनिक एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के लिए किया करते हैं, जिसके बाद क्रांतिकारियों ने भी अंग्रेजों पर हमले के दौरान इन सुरंगों का इस्तेमाल छिपने और गोरिल्ला युद्ध में किया था. बताया जाता है कि कालांतर में इन सुरंगों को बंद कर दिया गया था।
लाॅक डाउन में भक्त और भगवान ‘लाॅक’, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ करें दर्शन
शामली। सावन माह की शिवरात्रि का पर्व कल (आज) यानि रविवार को मनाया जाएगा। लाॅक डाउन में भक्त और भगवान दोनों ही ‘लाॅक’ हो गए हैं। हालांकि मंदिरों में जलाभिषेक की अनुमति दी जाएगी लेकिन पांच से ज्यादा को प्रवेश नहीं मिल सकेगा। पहले से ही कोरोना संकट से जूझ रहे देश के लोगों को कोरोना संकट से बचाने के लिए सरकार द्वारा लगभग सभी मंदिरों में ज्यादा भीड भाड एकत्र न होने देने के कडे निर्देश हैं। शामली जिले में भी ज्यादा श्रद्धालुओं को मंदिरांे में आने की अनुमति नहीं है इसके लिए मंदिरों में पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की गयी है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि पर मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड लगी रहती है लेकिन इस बार ऐसा नही हो सकेगा। शिवरात्रि पर मंदिरों में भी नियम बनाए गए हैं, पांच से अधिक श्रद्धालुओं को जलाभिषेक की अनुमति नहीं दी जाएगी।
ऐसे करें जलाभिषेक
शिवलिंग पर पंचामृत, दूध, दही, शहद, घी, शर्करा, गंगा जल, बेल पत्र, कनेर, श्वेतार्क, सफेद आखा, धतूरा, कमलगट्टा, गुलाब और नील कमल चढ़ाकर अभिषेक करना चाहिए। गंगाजल से शिवलिंग को स्नान कराते समय पांच मंत्रों का जाप किया जाता हैं। इसके साथ ही दीपक और धूपबत्ती जलाना चाहिए।
सावन शिवरात्रि का महत्वः फाल्गुन महीने के बाद सावन महीने का हर कोई बड़े ही बेसब्री से इंतजार करता हैं। इस दिन भगवान शिव को गंगाजल से जलाभिषेक करना बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की अराधना करता है उसकी हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है और उसे मनचाहा फल प्राप्त हो जाता है।
सावन शिवरात्रि में शिव पूजन का लाभ
सावन शिवरात्रि के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सावन शिवरात्रि के दिन व्रत रखने से क्रोध, ईष्र्या, अभिमान और लोभ से मुक्ति मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन शिवरात्रि का व्रत कुंवारी कन्याओं के लिए श्रेष्ठ माना गया है। यह व्रत करने से उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है। वहीं जिन कन्याओं के विवाह में समस्याएं आ रही हैं उन्हें सावन शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। शिव पूजा से सेहत पर सकारात्मक असर पड़ता है। जीवन में खुशियां आती हैं और धन धान्य की वृद्धि होती है।