IN8@: रूस ने अपने नागरिकों के लिए अपनी दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन स्पूतनिक वी के पहले बैच को आम नागरिकों के लिए जारी कर दिया है। रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इस रूसी वैक्सीन ने सभी गुणवत्ता जांच को पार कर लिया है और अब इसे आम नागरिकों को लगाने के लिए जारी कर दिया गया है। रूसी वैक्सीन का इसी सप्ताह तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल शुरू होने जा रहा है।
भारत मे जल्द होगा ट्रायल
इससे पहले रविवार को मास्को के मेयर सर्गेई सोबयानिन ने आशा जताई थी कि राजधानी के ज्यादातर लोगों को अगले कुछ महीने के अंदर कोरोना वायरस वैक्सीन लगा दिया जाएगा। बता दें कि रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन स्पूतनिक वी के अंतिम फेज का क्लिनिकल ट्रायल इस महीने से भारत में शुरू होगा। वैक्सीन बनाने के लिए फंड मुहैया कराने वाली एजेंसी रशियन डॉयरेक्ट इनवेस्ट फंड के सीईओ किरिल दिमित्रिज ने कहा कि इस वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल भारत समेत यूएई, सऊदी अरब, फिलीपींस और ब्राजील में इस महीने से शुरू हो जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि वैक्सीन के तीसरे फेज के क्लिनिकल ट्रायल का प्राइमरी रिजल्ट अक्टूबर-नवंबर में जारी कर दिया जाएगा। इस कोरोना वैक्सीन को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 11 अगस्त को लॉन्च किया था। इस वैक्सीन को मॉस्को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने रूसी रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर एडेनोवायरस को बेस बनाकर तैयार किया है। रशियन डॉयरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड ने अपने बयान में कहा है कि इस वैक्सीन का उत्पादन भारत, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, सऊदी अरब, तुर्की और क्यूबा में किया जाएगा।
इसमें यह भी बताया गया है कि वैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल सऊदी अरब, यूएई, ब्राजील, भारत और फिलीपींस सहित कई देशों में किए जाने की योजना है। रूस ने बताया कि वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन सितंबर 2020 में शुरू होने की उम्मीद है। भविष्य की योजनाओं में 2020 के अंत तक इस वैक्सीन के 20 करोड़ डोज बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से 3 करोड़ वैक्सीन केवल रूसी लोगों के लिए होगी। रूसी न्यूज एजेंसी TASS ने रशियन एकेडमी ऑफ साइंसेस में डेप्युटी डायरेक्टर डेनिस लोगुनोव के हवाले से कहा कि स्पूतनिक वी वैक्सीन को रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय की अनुमति के बाद व्यापक उपयोग के लिए जारी किया जाएगा।
रूस की पहली सैटेलाइट से मिला वैक्सीन को नाम
इस वैक्सीन का नाम रूस की पहली सैटेलाइट स्पूतनिक से मिला है। जिसे रूस ने 1957 में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने लॉन्च किया था। उस समय भी रूस और अमेरिका के बीच स्पेस रेस चरम पर थी। कोरोना वायरस वैक्सीन के विकास को लेकर अमेरिका और रूस के बीच प्रतिद्वंदिता चल रही थी। रूस के वेल्थ फंड के मुखिया किरिल दिमित्रीव ने वैक्सीन के विकास की प्रक्रिया को ‘स्पेस रेस’ जैसा बताया था। उन्होंने US TV को बताया, ‘जब अमेरिका ने स्पूतनिक (सोवियत यूनियन की बनाई दुनिया की पहली सैटलाइट) की आवाज सुनी तो वे हैरान रह गए, यही बात वैक्सीन केसाथ है।