भागीरथ सेवा संस्थान दिव्यांगजन को आत्मनिर्भर बनाकर सपना कर रहा साकार, खुद की कमाई मनाएंगे दिवाली

गाजियाबाद। भागीरथ सेवा संस्थान द्वारा संचालित विशेष विद्यालय एवं विशेष डे-केयर सेंटर के छात्र-छात्राओं द्वारा अपने बनाए हुए दिए एवं कैंडल्स की खेतान पब्लिक स्कूल एवं आईटीएस कॉलेज में स्टाल लगाई गई। दिव्यांग बच्चों के हाथ की सफाई और खूबसूरत कलाकृतियां देखकर लोग हैरान हो गए। दिवाली मेले में आये लोगों ने दिव्यांग बच्चों द्वारा बनाए गए सामान खऱीदे और उनसे बातचीत भी की। इन स्टॉल से कुल 20 हज़ार रूपए की आमदनी हुई। संस्थान ने होने वाली आमदनी का एक हिस्सा इन बच्चों को इनाम स्वरुप और बाकी रुपयों को दिव्यांग बच्चों के वेलफेयर के लिए खर्च करने का निर्णय लिया है।

भागीरथ सेवा संस्थान के निदेशक अमिताभ सुकुल ने बताया कि अपने प्रयासों की कड़ी में संस्थान द्वारा त्योहारों के मौके पर बच्चों को विशेष रूप से त्योहारों से संबंधित साज सज्जा एवं उपयोग की अन्य वस्तुओं का निर्माण एवं उनके क्रय विक्रय की ट्रेनिंग दी जाती है.. और अब दिवाली के उपलक्ष्य में संस्थान के विशेष शिक्षक- शिक्षिकाओं द्वारा विशेष बच्चों को विभिन्न प्रकार के सजावटी घरेलु सामान एवं दीपोत्सव के लिए दिए, फैंसी कैंडल्स, जेल वाले फैंसी दिए, वॉल हैंगिंग, नक्काशी दार कलश एवं अन्य प्रकार के सामान आदि बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। विशेष विद्यालय में तैयार किए गए इन खूबसूरत हैंडीक्राफ्ट को विभिन्न स्कूलों एवं सार्वजनिक स्थानों पर स्टाल लगाकर विक्रय किया जाता है।

इनसे होने वाली आय को उन्हीं बच्चों में वितरित कर उनकी दिवाली बेहतर बनाने के साथ ही समाज की मुख्यधारा में जोड़ने और अपने लिए आर्थिक स्रोत पैदा करने का हौसला भी दिया जाता है। विशेष बच्चों और अध्यापकों को वोकेशनल ट्रेनिंग दे रही कैमकुस कॉलेज ऑफ स्पेशल स्कूल की लेक्चरर सुश्री रुमकी घोष के मुताबिक संस्थान द्वारा संचालित भागीरथ स्पेशल स्कूल एवं स्पेशल डे-केयर सेंटर में दीपावली के अवसर पर दिव्यांग बच्चों द्वारा व्यवसायिक शिक्षा के तहत सुन्दर दिए, मोमबत्तियां आदि बनाने सिखाये जा रहे हैं। बच्चों द्वारा बनाए गए यह सभी उत्पाद उन्हें आत्मनिर्भर बनने और अपनी आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के योग्य बनाते है। बच्चों द्वारा कुछ स्कूल कॉलेज में इनके स्टॉल भी लगाए गए जहाँ लोगों इन सामान को काफी सराहा और दिव्यांग बच्चों को प्रोत्साहित किया।