भगवान कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की तैयारियां प्रारंभ

  • आज मनेगी स्मार्त कृष्ण जन्माष्टमी, कल वैष्णव जन्माष्टमी का पर्व
  • मंदिरों में नहीं होंगे बडे आयोजन, श्रद्धा के अनुसार व्रत रखंेगे श्रद्धालु

दीपक वर्मा@ शामली। जिले में नटखट गोपाल भगवान कृष्ण जन्मोत्सव मनाने की तैयारियां शुरू हो गयी हैं। इस बार दो जन्माष्टमी मनाई जाएगी जिसमें मंगलवार को स्मार्त जन्माष्टमी व बुधवार को वैष्णव कृष्ण जन्माष्टमी का पूर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। मंदिरों में किसी भी बडे कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया जाएगा लेकिन श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार व्रत रखकर भगवान कृष्ण की आराधना करेंगे। जिला प्रशासन ने भी लोगों को घरों में ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाने की अपील की है।
जानकारी के अनुसार इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया जाएगा। 11 व 12 अगस्त को जन्माष्टमी का संयोग बन रहा है। 11 को स्मार्त और 12 अगस्त को वैष्णव का पर्व होगा। पंडितों का कहना है कि अष्टमी तिथि 11 अगस्त मगलवार सुबह 9.06 बजे से लेकर 12 अगस्त की सुबह 11.15 बजे तक रहेगी। दोनों तिथियांे में नक्षत्र का संयोग नहीं मिल रहा है। रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त को भोर से 3.26 से मिल रहा है। पंडितों ने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी इस बार 11 और 12 अगस्त को दोनों दिन पड़ रही है। शैव (स्मार्त) मत को मानने वाले लोगों के लिए 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने का मुहूर्त है तो वैष्णव मत से 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। ऐसे में शहर में दोनों दिन कान्हा जन्मोत्सव की परंपराएं निर्वहन की जाएंगी। श्रद्धालु अपने घरों में तो मंदिरों में पुजारी, सेवायत यह आयोजन करेंगे। शहर में भले ही कोरोना के चलते धूमधाम नहीं रहेगी, लेकिन अधिकांश संख्या में श्रद्धालु हर्षोल्लास के साथ जन्माष्टमी मनाएंगे। दूसरी ओर मंदिर हनुमान टीला हनुमान धाम के प्रधान सलिल द्विवेदी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते भगवान कृष्ण जन्माष्टमी पर मंदिर में कोई बडा आयोजन नहीं किया जाएगा। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सोशल डिस्टेंस का पालन करना अनिवार्य होगा, पांच से अधिक श्रद्धालुओं को एक साथ मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। मंदिर में भीड को एकत्रित नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपने-अपने घरांे में ही भगवान की पूजा अर्चना की अपील की है। वहीं शहर के अन्य मंदिरों में इस बार झाकियां व अन्य कार्यक्रम भी नहीं हो सकेंगे। जिला प्रशासन ने भी लोगों को अपने-अपने घरों में ही पर्व मनाने की अपील की है।

पूजन का यह है समयः
शैव मत के अनुसार मंगलवार मध्य रात्रि में अभिषेक, पूजा पाठ का मुहूर्त रहेगा जबकि वैष्णव मत के लिए 12 अगस्त दिन बुधवार को शुभ मुहूर्त रात्रि 23.58 से 00.44 मिनट तक करीब 45 मिनट का है। जन्माष्टमी का पारण अगले दिन 13 अगस्त दिन गुरुवार को सूर्योदय के पश्चात ही होगा। वैष्णव मत के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व 12 अगस्त को मनाया जाएगा क्योंकि अष्टमी और नवमी तिथि आपस में मिल रही हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत उसी दिन उत्तम माना जाता है जिस दिन अष्टमी और नवमी तिथि का मिलन होता है।