राजनीति में अपराध की धींगामुश्ती का गवाह रहा है यूपी का शामली-कैराना
कानपुर की घटना के बाद राजनीति के अपराधिकरण पर फिर उठी उंगलियां
दीपक वर्मा@ शामली। पिछले 20-25 सालों में राजनीति ने बड़ी ही तेजी के साथ अपना सफेद चोला कलंकित किया है। कानपुर में हुई घटना इन हालातों की चींख-चींखकर गवाही दे रही है, क्योंकि आज की राजनीति अपराधियों की धींगामुश्ती और खाकी से बचाव के साथ-साथ उसको लाल करने का साधन बन गई है। कानपुर के विकास दुबे जैसे राजनीति के कई माननीय यूपी के शामली और कैराना में भी मौजूद हैं, जो वक्त पड़ने पर खाकी को लाल करने का मौका गवाने से भी पीछे नही हटते। ऐसे लोगों की करतूत पुलिस की वर्दियां खून से लाल होने के बाद ही सामने आती हैं।
कानपुर में यूपी पुलिस के मोस्ट वांटेड अपराधी और राजनीति के माननीय विकास दुबे की करतूत से आज देश की राजनीति का चेहरा शर्मशार हो रहा है। राजनीति में अपराधियों की घुसपैठ से लगातार बह रहा खाकी का खून कई बड़े सवाल खड़े करता है। पैसे और अपराध के दम पर जनता की वोट वसूलने वाले इन अपराधियों के आगे मानों हर कोई नतमस्तक हो जाता है। वेस्ट यूपी के शामली जिले के लोग पिछले काफी सालों से ऐसे ही हालातों को भुगतते नजर आ रहे हैं। यहां भी कई माफिया अवैध धंधों से जमा की गई अकूत धन-दौलत के बूते पर राजनीति की बिसात पर पुलिस और आम जनता का खून बहाने का कार्य कर रहे हैं, लेकिन ऐसे लोगों का सफेद कुर्ता उन्हें बार-बार खाकी की लाठियों से बचाते हुए बड़ा गुनाह करने के लिए तैयार करता रहता है।
कैराना में अपराधियों को संरक्षण
पलायन की वजह से सुर्खियों में रह चुका शामली जिले का कैराना खादी और अपराध की कालिग के गठजोड का गवाह रह चुका है। जिले की कैराना, शामली और थानाभवन विधानसभा में ऐसे भी कई लोग हैं, जो छोटी मोटी चोरियों के बाद माफियागिरी कर अवैध धन कमाते हुए फिलहाल खादी पहनकर जनता के बीच टहलते हुए नजर आते हैं। इतना ही नही जिले में कई सफेदपोशों पर तो सीधे तौर पर कुख्यात अपराधियों को संरक्षण देने के आरोप भी लगते आए हैं। पिछले कुछ चुनावों को याद किया जाए, तो यहां पर जेल में बंद अपराधी चुनाव की बिसात पर भी बैठ चुके हैं। ऐसे ही लोगों की वजह से राजनीति का माफियाकरण लगातार जारी है, जिसके चलते सफेद चोला पहनकर जनता के बीच खड़े होने वाले दुर्दांत अपराधी वक्त पड़ने पर खून बहाने से भी पीछे नही हटते।
कई बार बह चुका पुलिस का खून
जिले में राजनीति और माफियाओं के गठजोड़ की वजह से कई बार खाकी लहुलुहान हो चुकी है। झिंझाना में रेत की खनन पर थानाध्यक्ष बीपी सिंह पर जानलेवा हमला हो, या फिर कैराना में सिपाही अंकित की शहादत। हर जगह अपराध से घिरी राजनीति खाकी के खून की प्यासी नजर आती है। चंद महीने पहले टपराणा गांव में पुलिस पार्टी पर हमले की वारदात में भी राजनीति की काली छाया का जहर देखने को मिल चुका है। ऐसे हालातों में जनता को सफेद चोला पहनकर खून बहाने वाले माननीय अपराधियों से संभलकर रहने की जरूरत है।