नई दिल्ली : रूसी सैन्य कार्रवाई का सामना कर रहे यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले भारत के छात्र अब भारत समेत किसी भी देश से अपना कोर्स पूरा कर सकेंगे.
मौजूदा भू-राजनीतिक विशेष परिस्थितियों को देखते हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने 24 फरवरी 2022 से रूस द्वारा यूक्रेन पर शुरू की गई सैन्य कार्रवाई के बाद वापस लौटे भारत के मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को अपनी शिक्षा पूरी करने की अनुमति दे दी है. हालांकि, किसी भी देश से कोर्स पूरा करने के बाद इन छात्रों को मेडिकल की डिग्री यूक्रेन के विश्वविद्यालयों की ओर से ही प्रदान की जाएगी.यूक्रेन के विश्वविद्यालय ही देंगे मेडिकल की डिग्रीमीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, युद्धग्रस्त यूक्रेन से वापस लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों को अब दूसरे देशों के विश्वविद्यालयों में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई पूरी करने की अनुमति मिलेगी. मौजूदा विशेष परिस्थितियों के मद्देनजर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ऐसे छात्रों को अपनी शिक्षा पूरी करने की अनुमति देने के लिए यूक्रेन के अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम को मान्यता देने पर सहमत हो गया है, लेकिन डिग्री यूक्रेन के मूल विश्वविद्यालय द्वारा ही प्रदान की जाएगी.
विदेश मंत्रालय की राय पर उठाया गया यह कदम
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग कानून के अनुसार, विदेशी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को केवल एक ही विश्वविद्यालय से डिग्री लेने की आवश्यकता होती है. एनएमसी द्वारा मंगलवार को जारी सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि गतिशीलता कार्यक्रम संबंधी यूक्रेन की पेशकश पर विदेश मंत्रालय के परामर्श से आयोग में विचार किया गया. यह जानकारी दी गई है कि अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों में अन्य विश्वविद्यालयों में दाखिला के लिए एक अस्थायी व्यवस्था है. नोटिस में कहा गया है कि डिग्री यूक्रेन के मूल विश्वविद्यालय द्वारा ही प्रदान की जाएगी.
18 अप्रैल को छात्रों ने दिल्ली में किया था प्रदर्शन
गौरतलब है कि यूक्रेन में रूसी हमले शुरू होने के बाद वापस लौटे मेडिकल के छात्रों ने पिछले 18 अप्रैल को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन भी किया था. इस प्रदर्शन के दौरान यूक्रेन से लौटे मेडिकल के छात्रों ने केंद्र सरकार से राज्य के विश्वविद्यालयों में उनकी पढ़ाई पूरी करने में मदद करने की व्यवस्था करने की मांग की थी. यूक्रेन एमबीबीएस स्टूडेंट्स पैरेंट्स यूनियन के तहत देश भर से लगभग 300 माता-पिता और छात्रों ने सरकार से मांग की कि भारतीय संस्थानों में उनकी शेष शिक्षा पूरी करने के लिए निकासी नामांकन सुनिश्चित किया जाए. मेडिकल छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि सरकार को हमारे बच्चों के करियर को उसी तरह बचाना चाहिए, जैसे उसने छात्रों को यूक्रेन से वापस लाकर उनकी जान बचाई.