गाजियाबाद। शहर की शिक्षण संस्थाओं में बुधवार को नवरात्र महोत्सव और दशहरा पर्व के उपलक्ष्य में डांडिया नृत्य और रावण रूपी पुतले का दहन किया गया। इस दौरान छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।
प्रताप विहार पी ब्लॉक स्थित गौतम पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल में शुक्रवार को नवरात्रि की धूम रही। नौ देवियों के रूप में बनी विद्यालय की छात्राएं ऐसी प्रतीत हो रही है मानो आसमान से उतरी नौ देवियां अपने-अपने रूपों में अपनी छटा बिखेर रही है। विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। जिसमें मां दुर्गा का आगमन और रक्तबीज का वध दिखाया गया। इस अवसर पर डायरेक्टर आशीष गौतम, प्रधानाचार्या पूनम गौतम, उपप्रधानाचार्या तनुजा ने मॉ दुर्गा के प्रतिमा पर फूल माला चढ़ाकर, पूजा-अर्चना की।
बच्चों ने सर्वप्रथम मां कालिका का चंडी नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद नवदुर्गा रूपों की झांकी प्रस्तुत की। इसके बाद में राम रावण युद्ध का प्रदर्शन हुआ। इस अवसर पर शिक्षक-शिक्षिकाओं ने लोकगीत, भजन, भक्ति गीत आदि प्रस्तुत कर बच्चों का उत्साह बढ़ाया। डायरेक्टर ने बच्चों को मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शों पर चलकर आदर्श नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में रावण के पुतले का दहन किया गया। बच्चों को दशहरा की शुभकामना दी।
प्रधानाचार्या पूनम गौतम ने नवरात्रि की सभी को बधाई देते हुए कहा यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देने के लिए मनाया जाता है। उपप्रधानाचार्या तनुजा ने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बच्चों की भूरी-भूरी प्रशंसा की तथा उन्हें बधाई देते हुए शपथ दिलाई कि वे राम जी को आदर्श मानकर जीवन में उनके गुणों को धारण करेंगे। रावण रूपी अहंकार का नाश कर सच्चा दशहरा मनाएंगे। सभी को पटाखे रहित दशहरा मनाने के लिए जागरूक करेंगे।
उन्होंने कहा नवरात्रि देवी दुर्गा के नौ अवतारों या स्वरूपों की पूजा करने का सबसे प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है, जिसे शक्ति या देवी के रूप में भी जाना जाता है। शक्ति की सिद्धि तीन बातों पर निर्भर करती है, संयम, सत्य और सद्भाव। शक्ति उसी के साथ है जिसके जीवन में ये तीन भाव भीतर तक उतरे हुए हैं।
नवरात्रि का पर्व प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। माता कात्यायनी दुर्गा ने देवताओं के अनुरोध पर महिषासुर का वध किया था। माता का नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध हुआ और दसवें दिन उसका वध हुआ इसलिए दसवें दिन सभी देवताओं ने विजय उत्सव मनाया था। तभी से नवरात्रि के दसवें दिन विजयादशमी का पर्व मनाया जाने लगा। इस दौरान एकेडमिक हेड चेतन शर्मा और सभी अध्यापकगण उपस्थित रहे।