जीवन के संगीत को खुल कर जियो: आचार्य गवेंन्द्र शास्त्री

प्रमोद शर्मा @ गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में उपनिषदों का संदेश विषय पर आनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह करोना काल में 463 वां वेबिनार था। वैदिक विद्वान् आचार्य गवेन्द्र शास्त्री ने कहा कि उपनिषदों के दिव्य सन्देश को समझने के लिए उपनिषदों के ऋषियों के दृष्टिकोण को समझना आवश्यक है जैसे आज प्रत्येक बात भौतिक दृष्टिकोण को सामने रखकर कही या लिखी जाती है वैसे ही उपनिषद कारों ने अध्यात्मिक दृष्टिकोण को सामने रखकर सब कुछ कहा तथा लिखा था ऋषियों का कहना था के ब्रह्म को ढूंढने के लिए कहीं दूर भटकने की आवश्यकता नहीं है जो कुछ ब्रह्मांड में है वही कुछ पिंड में है संसार का सुन्दर गीत प्रत्येक वस्तु यहां पर गाती है

आकाश की आंखों में तारे गाते हैं उद्यानों की झीलों में फूल गाते हैं सागर के सीने पर तरंग गाती है जीवन के किनारे पर मृत्यु गाती है मृत्यु के उस पार नव जीवन है हर वस्तु यहां पर गा रही है फिर मानव ही पत्थर बनकर क्यों बैठा रहे। क्योंकि जैसे फूलों का सार मधु है दूध का सार घी है यज्ञ का सार सुगन्धी है मानव जीवन का सार ब्रह्मलोक की प्राप्ति है। ईश्वर के दर्शन आत्म लोक में पितृ लोक में, गंधर्व लोक में, ब्रह्मलोक में, होते हैं।

हंस बसु होता अतिथि समझ कर जीवन बिताता है। वह निरंतर विकास करता जाता है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन करते हुए जीवन को प्रसन्नचित रहकर जीने का आह्वान किया। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने हास्यासन करवा कर धन्यवाद ज्ञापित किया। गायिका सुदेश आर्या, प्रवीना ठक्कर, पिंकी आर्या, ईश्वर देवी, कमला हंस,विजय खुल्लर, कमलेश चांदना, रजनी गर्ग,रजनी चुग, जनक अरोड़ा,कुमकुम खोसला,सुमित्रा गुप्ता आदि के मधुर भजन हुए।