भू-अभिलेख नहीं दिखा सकी हरियाणा राजस्व टीम

सीमा विवादरू हाईकोर्ट के आदेश पर नंगलाराई में पहुंची थी टीम, तीन प्वाइंट दिखाए पर पैमाइश से किया इंकार
संवाददाता@ कैराना। प्रशासन के लाख प्रयासों के बाद भी यूपी-हरियाणा भूमि सीमा विवाद का कोई हल नहीं निकल सका है। हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर बापौली तहसील से एक बार फिर राजस्व टीम क्षेत्र के नंगलाराई में पहुंची। यहां आवंटित खनन प्वाइंट को भी टीम ने हरियाणा सीमा में बताया। स्थानीय राजस्व टीम ने हरियाणा राजस्व टीम को तीन प्वाइंटों से पैमाइश करने को कहा, तो उसने इंकार कर दिया। टीम मौके पर भू-अभिलेख भी नहीं दिखा पाई। इसके बाद टीम लौट गई।
मंगलवार को हरियाणा की बापौली तहसील से राजस्व निरीक्षक राकेश कुमार, लेखपाल सुरेंद्र कुमार, दीपक कुमार, पानीपत से खनन इंस्पेक्टर विकास कुमार की टीम कैराना क्षेत्र के गांव नंगलाराई में पहुंची। टीम ने प्रशासन को हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला दिया। इस पर एसडीएम देवेंद्र सिंह के निर्देश पर नायब तहसीलदार सचिन कुमार के नेतृत्व में राजस्व निरीक्षक नवाब सिंह, हरबीर सिंह, सर्वे लेखपाल यमुना प्रसाद, दिनेश कुमार, लेखपाल विजय राठी, रविंद्र कुमार व बालेश्वर की टीम मौके पर पहुंच गई। जहां दोनों प्रदेशों की राजस्व टीमों के बीच वार्ता हुई। हरियाणा की राजस्व टीम ने बताया कि उनके प्रदेश के नवादा गांव निवासी किसान कर्मवीर ने चंडीगढ़ हाईकोर्ट में वाद दायर कर रखा है, जिसमें हरियाणा की सीमा पर अवैध कब्जा करने की बात कही गई है। इतना ही नहीं, नंगलाराई में आवंटित वैध बालू खनन पट्टे को भी हरियाणा की सीमा में बताया गया है, जिस पर स्थानीय टीम ने अपने भू-अभिलेख दिखाए और हरियाणा की टीम को भी भू-अभिलेख दिखाने के बारे में कहा गया, लेकिन टीम भू-अभिलेख नहीं दिखा सकी। इसके बाद टीम को मौके पर तीन प्वाइंट पर पैमाइश के लिए दिखाए गए। यमुना तटबंध भी टीम को दिखाया गया लेकिन, टीम ने पैमाइश से इंकार कर दिया। इसके बाद हरियाणा की राजस्व टीम लौट गई। सर्वे लेखपाल यमुना प्रसाद ने बताया कि हरियाणा राजस्व टीम भू-अभिलेख भी नहीं दिखा पाई। तीन प्वाइंट दिखाए, लेकिन पैमाइश नहीं की गई। यमुना तटबंध को भी मानने से इंकार कर दिया। हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर टीम यहां पहुंची थी।

1974 में हुआ था सीमा बंटवारा
दीक्षित अवार्ड के तहत यूपी-हरियाणा सीमा का बंटवारा हुआ था। उस समय सीमांकन के लिए पिलर लगाए थे, लेकिन यमुना की जलधारा बदलने के साथ ही कुछ पिलर गायब हो गए। इसी को लेकर दोनों प्रदेशों के किसानों के बीच विवाद चला आ रहा है। कई बार किसानों के बीच खूनी संघर्ष भी हो चुके हैं और मुकदमेबाजी होती रही है। पिछले दिनों दोनों प्रदेशों के अधिकारियों की बैठक के दौरान विवाद के हल की प्रक्रिया शुरू की गई थी। सर्वेे भी हुआ था। इसके बाद सीमा पर दोनों प्रदेशों की ओर से पिलर लगाने पर सहमति बनी थी। लेकिन अभी तक नए पिलर भी नहीं लग पाए हैं।