क्या फेसबुक विवाद पर होगी जेपीसी जांच?

नई दिल्ली |  वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक खबर को लेकर फेसबुक निशाने पर आ गई है। कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के साथ ही आरएसएस के पूर्व विचारक गोविंदाचार्य ने इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग की। आरोप लगाया गया है कि फेसबुक भाजपा के कुछ नेताओं को लेकर हेट स्पीच के नियमों को लागू नहीं करती। हालांकि सोशल मीडिया की इस दिग्गज कंपनी ने जोर देकर कहा कि उसकी नीतियां वैश्विक रूप से बिना राजनीतिक जुड़ाव देखे लागू की जाती हैं। कांग्रेस ने कहा कि फेसबुक द्वारा घृणा से भरी सामग्री के खिलाफ ‘कार्रवाई नहीं करने’ से भारत में ‘लोकतंत्र अस्थिर’ हो रहा है और यह कि वह विभिन्न देशों में विभिन्न नियम लागू कर रही है, ‘बिल्कुल अस्वीकार्य है।’

बीजेपी के पूर्व महासचिव और आरएसएस विचारक केएन गोविंदाचार्य ने हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीत में कहा है कि डेटा संप्रुता और गोपनीयता के अधिकार के मामले में राजनीतिक दलों को मतभेदों को दरकिनार करके समाधान तलाशने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ”कांग्रेस की ओर से की जा रही जेपीसी जांच की मांग को मूलभूत और प्रणालीगत समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाए।” उन्होंने कहा, ”एक दूसरे पर आरोप लगाने के बजाय राजनीतिक दल जवाबदेही के मूल प्रश्न और जरूरी कानून बनाने पर ध्यान दें तो बेहतर होगा। पार्टियां सत्ता में रहने पर एक भाषा बोलती हैं और विपक्ष में रहने पर दूसरी।” गोविंदाचार्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर रेग्युलेशन को लेकर कैंपेन चला रहे हैं और दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका भी दायर कर चुके हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि समिति रिपोर्ट के बारे में फेसबुक का पक्ष जानना चाहेगी। उसके बाद दिल्ली विधानसभा की एक समिति ने भी कहा कि भारत में नफरत भरी सामग्री पर अंकुश लगाने में जानबूझकर निष्क्रियता बरतने की शिकायतों को लेकर वह दास समेत फेसबुक के अधिकारियों को तलब करेगी।