IN8@फर्रूखनगर…जहां एक ओर गत दिनों गुरुग्राम शहर में हुई झमाझम बरसात ने पूरा शहर जलमग्न कर दिया और प्रशासन ने उक्त पानी की निकासी गुरुग्राम से सटे गांवों के खेतों में कर दी । गुरुग्राम शहर के लोगों को राहत मिल गई । लेकिन पांच गांव मांकडौला, धर्मपुरा, खेड़की माजरा, दौलताबाद , बुढ़ेडा के किसानों के लिए पानी आफत बन गया । गांवों की करीब साढ़े पांच हजार एकड़ भूमि में लगी धान , बाजरे की फसल जलमग्न हो गई है। संतरी से मंत्री तक गुहार के बाद भी पानी की निकासी का कोई प्रबंध नहीं किया गया है ।
बरसात के पानी से किसानों की फसल बर्बाद हो गई है। जिससे किसान हितेषी सरकार के प्रति पांच गांव के ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त है । ग्रामीणों का कहना है की सरकार शीघ्र जलमग्न फसलों की विशेष गिरदावरी करवा कर मुआवजा दे ताकि किसानों के नुकसान की भरपाई की जा सके । ग्रामीणों ने चेतावनी भी दे डाली की जल्द ही कोई कार्रवाई अमल में नही लाई गई तो वह प्रर्दशन के लिए मजबूर हो सकते है । मांकडौला के पूर्व सरपचं दिनेश सहरावत, धर्मेन्द्र सहरावत, मंजीत सहरावत, पूर्व सरपंच श्री भगवान, जगपाल ठाकुर, चांदराम, पूर्व सरपंच बिंरेन्द्र दोलताबाद , राजकुमार पूर्व सरपंच, केवल लम्बरदार, राजेश ठोलेदार आदि ने बताया कि यह कहां का न्याय है कि सरकार ने गुरुग्राम के जल निकासी पर ध्यान न देकर पांच गांव के किसानों और ग्रामीणों की खून -पसीने से तैयार बाजरा, धान की फसल को पानी छोड़ कर बर्बाद कर दिया है । यह हालत प्रत्येक वर्ष की है ।
हर बार किसानों को ही अपनी फसल की बली चढ़ानी पड़ती है । प्रशासन और सरकार के नुमाईन्दे देखने भी नहीं आते हैं । पांच गांवों के करीब दो हजार किसानों की 5500 एकड़ में उगी धान, बाजरे की फसल नष्ट हो गई है । खेतो में दो से तीन फीट पानी खड़ा है । किसानों ने जैसे तैसे कर्ज लेकर फसल तैयार की थी । लेकिन बरसात के पानी ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया है । किसान पहले ही कर्ज में डूबा हुआ है ऐसी हालत में वह और कर्ज के बोझ के नीचे दब गया है । किसानों की फरियाद सुनने वाला कोई नही है । नेता लोगों को भी चुनाव के समय ही यह समस्या दिखाई देती है । लेकिन इस संकट के दौर में कोई भी किसान का दुखडा सुनने नही पहुंच रहा है । किसानों में भारी रोष व्याप्त है ।