शिखर एंक्लेव में बंदरो का आंतक, महिला को किया जख्मी

-पूर्व में भी कई लोगों पर हो चुका हमला, वन विभाग और नगर निगम में शिकायत

प्रमोद शर्मा@ गाजियबाद। ट्रांस हिण्डन क्षेत्र स्थित वसुंधरा सेक्टर-15 स्थित शिखर एनक्लेव सोसायटी में बंदरों के आतंक से लोगों में खौफ बढ़ता जा रहा है। बुधवार रात बंदरों ने एक 45 वर्षीय  महिला पर उस समय हमला बोल दिया जब वह सोसायटी परिसर में नीचे टहलने के लिए उतरी थी। शोर सुनकर आस-पास के लोगों ने उसे बंदरों से बचाया। सोसायटी के रेजीडेंट्स का कहना है कि एक माह में यह पांचवीं घटना है जब बंदरों ने किसी को घायल किया है। इसी माह चार अन्य लोगों पर भी बंदर हमला कर चुके हैं। सोसायटी में बंदरों के बढ़ते उत्पात से परेशान लोग कई बार नगर निगम और वन विभाग के अधिकारी से शिकायत कर चुके हैं। वहीं अधिकारी पत्राचार से ज़्यादा कुछ नहीं कर रहें है। सोसायटी रेजिडेंट् का कहना है कि दोनों ही विभाग एक दूसरे पर बंदरों को पकडऩे की जि़म्मेदारी टालकर बच रहे हैं। बुधवार शाम लगभग साढ़े सात बजे बंदरों ने यहाँ टहल रही एक महिला बबीता वर्मा को बुरी तरह घायल कर दिया। लोगों का कहना है कि सोसायटी परिसर में घने व छायादार पेड़ होने के साथ-साथ खाली पड़े फ्लैटों में बंदरों ने अपना निवास स्थान बना लिया है। बंदरों से परेशान लोग अपनी शिकायत कई बार वन विभाग, ग़ाजिय़ाबाद व लखनऊ और नगर निगम, ग़ाजिय़ाबाद को कर चुके हैं लेकिन कहीं से भी कोई राहत नहीं मिली है। सोसायटी निवासी संदीप गुप्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश शासन के वन एवं वन्य जीव विभाग, लखनऊ द्वारा बताया गया है कि उन्होंने नगर निगम, गाजियाबाद के पशु कल्याण विभाग को अप्रैल माह में ही ऑपरेशन नटखट के तहत 200 बंदरों को पकडऩे की अनुमति दे दी थी। यह कार्य 31 मई तक पूरा होना था और इन उत्पादी बंदरों को मानकों के अनुरूप बनाए गए पिंजरों में रखकर सहारनपुर के शिवालिक पहाड़ी वन उन्मुख क्षेत्र में छोड़ा जाना था। बंदरों के उत्पात से परेशान सोसायटी के लोगों ने दिसंबर 2020 में अपनी शिकायत मुख्यमंत्री तक भी पहुंचाई थी। इसके बाद सीएम कार्यालय से इस संबंध में एक निगरानी समिति का गठन करने के दिशा निर्देश जारी किए थे। इसके तहत गाजियाबाद में लगभग 2,000 बंदरों को पकडऩे का कार्य किया जाना था, जिसमें शिखर एनक्लेव में उत्पाद मचा रहे लगभग 10 बंदरों को पकडऩे की भी अनुमति शामिल थी। अधिकारियों की लापरवाही की वजह से सभी कार्ययोजना ठंडे बस्ते में चली गई है।