सरकारी संस्थानों के निजीकरण का विरोध

  • नेशनल भीम आर्मी बहुजन एकता मिशन ने राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन

दीपक वर्मा@ शामली। नेशनल भीम आर्मी बहुजन एकता मिशन ने सरकार पर सरकारी अस्पतालों, इंजीनियरिंग कालेजों को निजी हाथों में सौंपने के प्रयास का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति से इनका निजीकरण रोकने व जिन सरकारी संस्थाओं का निजीकरण किया गया है उनको पुनः सरकारी संस्थाओं में तब्दील करने की मांग की है।
जानकारी के अनुसार नेशनल भीम आर्मी जिलाध्यक्ष संदीप कटारिया के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि देश के सबसे बडा अस्पताल एम्स सरकारी है, इसके अलावा कई इंजीनियरिंग कालेज, मैनेजमेंट कालेज, केन्द्रीय विद्यालय, भारतीय जीवन बीमा निगम सरकारी हैं, देश के एक करोड से अधिक लोग जिस ट्रेन में सफर करते हैं वो भी सरकारी है, अगर इन चीजों को निजी हाथों में दे दिया गया तो यह सिर्फ लूट खसोट का अड्डा बन जाएगी। उन्होंने कहा कि निजीकरण एक व्यवस्था नहीं बल्कि नव रियासतीकरण है। अगर हर काम में लाभ की ही सियासत होगी तो आम जनता का क्या होगा। कुछ दिन बाद नव रियासतीकरणवाले लोग कहेंगे कि देश के सरकारी स्कूलों, कालेजों और अस्पतालों से कोई लाभ नहीं है, अगर इनको निजी हाथों में दे दिया गया तो आम जनता का क्या होगा। उन्होंने कहा कि हमने बेहतर व्यवस्था बनाने के लिए सरकार बनायी है न कि सरकारी संपत्ति मुनाफाखोरों को बेचने के लिए अगर प्रबंधन सही नहीं तो सही करे। उन्होंने कहा कि पार्टी फंड में गरीब, मजदूर, किसान पैसा नहीं देता, बल्कि पूंजीपति देता है और पूंजीपति दान नहीं करता बल्कि निवेश करता है और चुनाव बाद मुनाफे की फसल काटता है। उन्होंने राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से अपील की कि इस निजीकरण को रोका जाए और जिन संस्थाओं का निजीकरण किया गया है उन्हें वापस सरकारी संस्थाओं में तब्दील किया जाए। अगर ऐसा नहीं होता तो नेशनल भीम आर्मी पूरे देश में भूख हडताल पर बैठने के लिए विवश हो जाएगी। इस मौके पर संस्थापक लोकेश कटारिया, सतेन्द्र झाल, संदीप कटारिया, राहुल बौद्ध, सुरेन्द्र कुमार, राहुल अम्बेडकर, सुक्रमपाल, शिव कुमार कटारिया, प्रताप आदि मौजूद रहे।